सचित्र ज्योतिष शिक्षा – Sachitra Jyotish Shiksha Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
प्रत्येक राणियों के पृथक्-पृथक् गुण और धर्म है। 4 रागियाँ सम है या विषम, स्त्री या पुरुष है, इसमे कोण तरण की प्रधानता है, अत्म सवाम या अधिक संतान बैती है या बध्या राशि है।
स्वभाव कूर है या सौम्या है। इसका प्रभाव किस दिशा में होता है और वात पित्त कफ सम्बन्ध में इसकी प्रकृति कसी है, श्राह्मण आदि कोन जाति की यह सूचक है।
इसका रंग क्या है, माहि कैसी है, किस समय गह राणि वलवान रहती है
और जल पल बन आदि में कहा निचरने बाली पर प्रभाव रखती है या उसमें से किस प्रकार के लोगो से इसका सम्पन्य है यह सब रायियो के गुण-धर्म जानने के प्रयट होता है।
उनका सपयोग आहणे महब पडेगा, जैसे अग्नि और बाय गाणी राणियो का आपस में मिलता होती है । भूमि और जात बाली राणियों की मित्रता होती है, परन्तु औरो को आपस में मित्रता नहीं रहेगी।
पुथ्य राशियों को पुरुष से, स्थ्ी राशियो की स्वोराशि वालों से मित्रता होगी ।
मत्सम स्थान सताल मूनक है, उसमें भीन राणि हो तो यह मीन राशि बहुप्रमन होने से बच खतान होगी ।
यदि उस पर शुब ग्रह की या उनके भार मामी को इस पर दृष्टि हो (दृष्टि मासन्धी निसार आगे मिलेगा) तो अवाय बहुत संतान होगी।
इसी प्रचार प्रपेप राराणियों के गम्बन्य हे यविचार करने को आवश्यकता ही है तो उन रामजी के गुण-बर्म पर मणम्य विचार करना चाहिये, उनी कारण इसका मानना मावश्यक है।
कोई प्रश्न, वर्ष या जन्म के समय विचारने में उनकी बावण्यका होती है ते
कर राणि ई तो सूर स्वभार होगा, सोम्यराशि ने सोम्य समान होगा। इग्नगय परराणि हो तो जिस सम्बग्य से बिभार कर रहे हो बह चठवा-विखा होणा. स्थिर राशि होने में यह स्थिर होगा।
यदि उच्च समय राशि द्वस्वभाव राशि की लग्न हो तो दोनी मिला हुमा फन अर्था|
लेखक | बाबूलाल ठाकुर-Babulal Thakur |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 296 |
Pdf साइज़ | 8.6 MB |
Category | ज्योतिष(Astrology) |
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