लाल किताब के फरमान – Lal Kitab Ke Farman 1939 Book/Pustak PDF Free Download
लाल किताब के बारें में
“लालकिताब” ज्योतिष को प्यार करने वाले और उस पे विश्वास रखने वाले बहन-भाइयों एवम इस इल्म के विद्यार्थी और विद्वानो हम सब के लिए आज हर्ष का विषय है की आज लाल किताब के इतिहास में एक नया मील पत्थर स्थापित होने जा रहा है।
आज १८ जनवरी २०१५ का दिन “लाल किताब” के रचयिता पंडित श्री रूप चंद जोशी जी का जन्म दिन है और इस पावन दिन को आधार बना कर “लाल किताब” ज्योतिष को नए आयाम प्रदान करने के लिए हमारे छोटे भाई “विद्यार्थी लाल किताब” (हरेश पंचोली) जी ने जो महत्वपूर्ण कदम उठाया है वो अत्यंत सराहनीय हैं।
इस विद्या से उन का अटूट रिश्ता है, एक बहुत बड़ा विश्वास है और हमने एक अजब उत्साह देखा है उन में।
इस विद्या को वो और आगे बढ़ते देखना चाहते हैं और इसी स्वप्न को साकार करने के लिए उन्होंने संकल्प लिया है की “लाल किताब” के सभी पांचों उर्दू ग्रंथो (१) “लाल किताब के फरमान १९३९” (२) “लाल किताब के अरमान १९४०” (३) “लाल किताब गुटका १९४१” (४) “लाल किताब तरमीम शुदा १९४२” (५) “लाल किताब १९५२” का हिन्दी रूपांतरण कर के इसे इंटरनेट पर डाला जाए ताकि ज्योतिष का हर प्रेमी सुगमता से इसका अध्ययन करके इसके गूढ रहस्यों को समझ सके और इस इल्म के मुख्य मकसद “कर भला होगा भला” को सही अंजाम दे सके।
अगर कोई निशान अपनी मुक़र्रर जगह की बजाए किसी दूसरी जगह उंगली या हथेली पर पाया जावे तो वही राशि कुण्डली में खाना नंबर एक पर गिनी जावेगी।
कुण्डली के खानों की तादाद – तरतीब चाल और मुकाम हमेशा के लिए मुस्तकिल तौर पर मुक़र्रर कर दिए गए है।
बारह राशियों के किए बारह ही खाने मुकर्रर हैं। इन १२ खानों में ९ ग्रह आएंगे बाकी ४वाना में दो इल) में बृहस्पत हवा का असर गिना जाएगा क्योंकि हर खाली जगह में हवा जरूरी होगी।
मिसाल के तौर पर किसी हाथ में मिथुन राशि का निशान ।।
जोड़ा पाया जावे। जो राशियों की गिनती में नंबर पर है मगर कुण्डली के खानों में अब मिथुन राशि का खाना नंबर एक लिखकर राशियों की गिनती की तरतीब से कुण्डली के १२ के १२ खानें पूरे कर लिए जाएंगे।
३-इसी तरह मे बुरजों के घर और निशान और तरतीब हमेशा के लिए मुक़र्र हैं। जिम बुर्ज का निशान जहां कहीं पाया जावे उसी हिसाब से ग्रहों को कुण्डली में भर लिया जाएगा।
ग्रहों और राशियो की कुंडलियों के खाने भी जहां तक हो सके बाहम मिलते जुलते मुकर्रर किए गए है सिर्फ मामूली फर्क है जो गौर से देखने में मालूम हो जाएगा?
देखने मे मालूम होगा की राशि नंबर २ बुक के घर का मालिक शुक्र (मिट्टी या औरत) है जिसे लक्ष्मी का अवतार माना है यही घर बृहस्पत को कुण्डली में दौलत इस राशि का नीच ग्रह है।
न ही शुक्र या लक्ष्मी ने किसी राशि को नीच किया है यानी नीच करने वाले ग्रहों के नामों में शुक्र का नाम कहीं नहीं मिलता। लक्ष्मी की इस सिफ़्त से इसे बीज माना गया है और उस घर में सिर्फ गुरु को ही बताया है।
लक्ष्मी या शुक्र औरत मिट्टी के साथ खाना नंबर ७ में भी बुध को ही जो (न नर होवे न मादा) मुखन्नस है जो जमीन को गोल करता और शुक्र औरत लक्ष्मी मिट्टी की दोस्ती का दम भरता है और इसकी रिहाइश के लिए अपने घर में ही इसे जगह दे दी है।
लेखक | पंडित रुपचन्द जोशी-Pandit Roopchand Joshi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 402 |
Pdf साइज़ | 111.5 MB |
Category | ज्योतिष(Astrology) |
सामुद्रिक की लाल किताब के फरमान 1939 – Samudrik Ki Lal Kitab Ke Farman 1939 Book/Pustak Pdf Free Download