लाल किताब के फरमान – Lal Kitab Ke Farman 1939 Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
अगर कोई निशान अपनी मुक़र्रर जगह की बजाए किसी दूसरी जगह उंगली या हथेली पर पाया जावे तो वही राशि कुण्डली में खाना नंबर एक पर गिनी जावेगी।
कुण्डली के खानों की तादाद – तरतीब चाल और मुकाम हमेशा के लिए मुस्तकिल तौर पर मुक़र्रर कर दिए गए है।
बारह राशियों के किए बारह ही खाने मुकर्रर हैं। इन १२ खानों में ९ ग्रह आएंगे बाकी ४वाना में दो इल) में बृहस्पत हवा का असर गिना जाएगा क्योंकि हर खाली जगह में हवा जरूरी होगी।
मिसाल के तौर पर किसी हाथ में मिथुन राशि का निशान ।।
जोड़ा पाया जावे। जो राशियों की गिनती में नंबर पर है मगर कुण्डली के खानों में अब मिथुन राशि का खाना नंबर एक लिखकर राशियों की गिनती की तरतीब से कुण्डली के १२ के १२ खानें पूरे कर लिए जाएंगे।
३-इसी तरह मे बुरजों के घर और निशान और तरतीब हमेशा के लिए मुक़र्र हैं। जिम बुर्ज का निशान जहां कहीं पाया जावे उसी हिसाब से ग्रहों को कुण्डली में भर लिया जाएगा।
ग्रहों और राशियो की कुंडलियों के खाने भी जहां तक हो सके बाहम मिलते जुलते मुकर्रर किए गए है सिर्फ मामूली फर्क है जो गौर से देखने में मालूम हो जाएगा?
देखने मे मालूम होगा की राशि नंबर २ बुक के घर का मालिक शुक्र (मिट्टी या औरत) है जिसे लक्ष्मी का अवतार माना है यही घर बृहस्पत को कुण्डली में दौलत इस राशि का नीच ग्रह है।
न ही शुक्र या लक्ष्मी ने किसी राशि को नीच किया है यानी नीच करने वाले ग्रहों के नामों में शुक्र का नाम कहीं नहीं मिलता। लक्ष्मी की इस सिफ़्त से इसे बीज माना गया है और उस घर में सिर्फ गुरु को ही बताया है।
लक्ष्मी या शुक्र औरत मिट्टी के साथ खाना नंबर ७ में भी बुध को ही जो (न नर होवे न मादा) मुखन्नस है जो जमीन को गोल करता और शुक्र औरत लक्ष्मी मिट्टी की दोस्ती का दम भरता है और इसकी रिहाइश के लिए अपने घर में ही इसे जगह दे दी है।
लेखक | पंडित रुपचन्द जोशी-Pandit Roopchand Joshi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 402 |
Pdf साइज़ | 111.5 MB |
Category | ज्योतिष(Astrology) |
सामुद्रिक की लाल किताब के फरमान 1939 – Samudrik Ki Lal Kitab Ke Farman 1939 Book/Pustak Pdf Free Download