लघु पाराशरी – Laghu Parashari Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
लिकर प्रकाशित करवाया वि का प्रथम रण पयोधि होने के का और प्यार वारापारी ना क बेकार] विमी गगक ने मध्य पाराशर’ नाम से एक प्रन्यलिखा जिसमें न जाने सम्मादक या लेखक आदि के प्रभाव से बहुत जगह मुड़ आयुक्त एक पाठ ष्टिगोपर हुए।
जो प्रकाशित अन्य मूल या भाषा टीका सन में गिरते है उनमें भी मूल का संशोधन करना तो दूर रहा, मूलस्थित पुट शब्द का भी अमुद्ध बौर अजीत आर्य टीकाकरण ने लिया है
जो संतोष दिव्यांगों के ठिए ला के स्थान में हानिकारक हो सकता है।
जैसे-मृगाधिष का अर्थ मकर, गुरु नाव का अर्थ बृहस्पति; महानुभाव का अर्थ नवम भाव, वृष राशि में बैठकर सुखा के मांस में हो रत्यादि असुरन अध है (क्योंकि वृष राशि में तुला या बुद्धि का नया होता ही नहीं)।
ऐसा अनर्ष देखकर विद्यावियों से प्राथित होने पर मैंने प्राचीन हस्तलिखित पुस्तकों के आधार मूल ग्रन्य की अधुद्धि यों का संशोधन करके यमामति सोदाहरण भाषा टीका लेकर काफी के सुप्रसिद्ध मास्टर खेलाडीलाल के पुत्र स्व अीयुत वाबू बगनाथ प्रसाद जी यादव को प्रकाशनार्थ समपर्ण कर दिया ।
उन्होंने अपने ग्रम्थ से विद्या परियों को उपचारार्थ यत्नपूर्वक लघुपाराशरी के इस संस्करण में उसके साथ हो इसे भी प्रकाशित, किया है ।
यदि इससे जनता का मुख भी लाभ हम तो हम अपने परिवम को स्कूल समझेंगे । सहदक सुवन यमाज से सद नंदन है कि इसमें
मनुष्य दोषवश या पन्नादि द्वारा जो कुछ भावि वा बुद्धि रह गयी हो उसे सूचित करें तो हम अग्रिम संस्करण में संशोधन कर उनके विर कुज बमेंगे। इस्यलम्वेन विवेकित्र्गयु ।भद-प्रतिवाद से सिद्ध है अग्त ( निश्चय ) जिसका ऐसे वेदान्त
में प्रतिपादित बहु के अन्तः पुर में रहने वाले अखण वर्ण अघरवाले बोना को धारण किए हुए किसी राजविप की हम उपासना करते हैं (अर्थान् श्री सरस्वती जी के स्वरूप का ध्यान करते है॥१॥ अथ वस्तु निर्देशः—
लेखक | सीताराम झा-Sitaram Zha |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 58 |
Pdf साइज़ | 52.6 MB |
Category | ज्योतिष(Astrology) |
source | archive.org |
लघु पाराशरी – Laghu Parashari Astrology Book/Pustak Pdf Free Download