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प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधी – Pratyahar, Dharana, Dhyan Aur Samadhi Book PDF Free Download

प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधी
मनोनिग्रह साधना के चार अंग हैं। प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि । अभ्यासी को आरम्भ में एक सप्ताह तक प्रतिदिन आध घण्टे केवल प्रत्याहार का अभ्यास करना चाहिए,
इसके बाद एक सप्ताह तक पन्द्रह मिनट प्रत्याहार और पन्द्रह मिनट धारणा का अभ्यास करना चाहिए। तीसरे सप्ताह आठ-आठ मिनट प्रत्याहार और धारणा तथा चौदह मिनट ध्यान ।
चौथे सप्ताह पाँच-पाँच मिनट प्रत्याहार, धारण, ध्यान तथा पन्द्रह मिनट समाधि । साधना में घड़ी की सहायता लेना कठिन है इसलिए एक मोटा हिसाब यह रखना चाहिए कि आधे समय में पुरानी साधनाऐं और आधे समय में नई साधना ।
थोड़ा बहुत ज्यादा कम हो तो भी कुछ हर्ज नहीं । दूसरे मास चारों साधनाओं के लिए बराबर-बराबर समय लगाना चाहिए । आधा घण्टे से बढ़ाकर साधना का समय अधिक किया जाय तो चारों साधनों पर उसे बराबर-बराबर बढ़ा देना चाहिए ।
तीसरे मास तीनों साधनों के लिए आधा और समाधि के लिए आधा इस प्रकार समय विभाजन करना चाहिए । इसके पीछे प्राथमिक तीन साधनों का समय घटाते और समाधि का बढ़ाते जाना चाहिए ।
साधारण गृहस्थों को एक बार में एक घण्टे से अधिक ध्यान न करना चाहिए । बीच-बीच में फुरसत के वक्त थोड़ा-थोड़ा समय निकाल कर इनमें से कोई अभ्यास किया जा सकता है ।
जिनका सारा समय योग साधन के लिए है और उचित संयम नियम से रहते हैं, वे सुविधानुसार अधिक समय अभ्यास कर सकते हैं । राजयोग के आठ अंगों में से पहले चार-यम, नियम, आसन, प्राणायाम का वर्णन पिछली पुस्तकों में स्वतंत्र रूप से किया जा चुका है।
यम-निमय और आसन-प्राणायाम की विधि-व्यवस्था शारीरिक एवं मानसिक स्वस्थता के लिए है। योग शास्त्र का सुदृढ़ मन्तव्य है कि किसी महान् कार्य का सम्पादन करने से पूर्व शरीर और मन का निरोग और स्वस्थ होना आवश्यक है ।
लेखक | श्री राम शर्मा-Shri Ram Sharma |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 32 |
Pdf साइज़ | 3 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
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