ब्रह्मचर्य की महिमा | Barhamchary Ki Mahima PDF In Hindi

‘ब्रह्मचर्य’ PDF Quick download link is given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Brahmacharya’ using the download button.

ब्रह्मचर्य की महिमा – Barhamchary Ki Mahima Book Pdf Free Download

ब्रह्मचर्य की महिमा

इस ब्रह्मचर्य की इतनी बड़ी महिमा होते हुए भी आज इम उसकी महानताको भूलकर नीचताके दलदल में फँसे हुए हैं। कहाँ हमारे वीर्यवान्, सामर्थ्यवान् तथा प्रतिभावान् पूर्वज और कहाँ वीर्यहीन,

अकर्मण्य और पद-दलित उनकी सन्तान हमलोग | आकाश पातालका अन्तर है। हमारे इस पनतका मूलकारण है | यदि आज हमलोग इस प्रकार नष्ट-चीर्य न हुए होते, तो इस अधोगति के गढ़ेमें कदापि न गिरते ।

ब्रह्मचर्य-नाशसे ही हमारा सुख, तेज, आरोग्य, बल, विद्या, स्वातन्त्र्य और धर्म मिट्टी में मिल गया | जिस प्रकार दीवारों के आधारपर छत रहती है, जड़ाके ‘आधारपर वृक्ष खड़े रहते हैं,

उसी प्रकार वीर्यके ही आधारपर मनुष्यका शरीर रहता है। ज्यों-ज्यों वीर्यका नाश होता जाता है, त्यों-त्यों हमारी तन्दुरुस्ती कम होती जाती है। वीर्य अनमोल वस्तु है।

इसीसे चारों पुरुषार्थ साधित होते हैं और यही मुक्तिका देनेवाला भी है। ब्रह्मचर्य धारण किये बिना, न तो अबतक कोई मनुष्य संसार में श्रेष्ठ बन सका है और न बन सकता है।

नष्ट-वीर्य मनुष्य कभी भी पवित्र, धर्मात्मा या महात्मा नहीं हो सकता । उन्नतिका मूलमंत्र ब्रह्मचर्य ही है। हमारे पूर्वज आर्यलोग इसी ब्रह्मचर्य के प्रतापसे ही भू-मण्डल में विख्यात थे,

सब देशवाले उनका लोहा मानते थे और डरते थे। उनका सामाजिक और नैतिक जीवन प्रधानतया इसी ब्रह्मचर्यके ऊपर अधिष्ठित था । पर हाय ! महाभारतके साथ ही आर्यों के उत्तम सिद्धातोंका पतन हो गया।

दिन पर दिन आर्योंकी अवनति होने लगी और अन्त में यह दशा हुई कि हम उन्हींकी सन्तान होकर उनके आदर्शों को मूल अनाचारके गढ़ेमें गिर गये । ब्रह्मचर्य के नाशसे ही संसार में आज हमलोग गुलाम कहे जा रहे हैं, चारों ओर अपमान धन्वन्तरि महाराज एक दिन अपने शिष्यों को आयुर्वेदका

लेखक सूर्यवली सिंह-Suryavali Singh
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 179
Pdf साइज़5.2 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

ब्रह्मचर्य की महिमा – Barhamchary Ki Mahima Book Pdf Free Download

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!