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मंगल भौम प्रदोष व्रत कथा – Mangal Pradosh Vrat Katha PDF Free Download
मंगल भौम प्रदोष व्रत कथा
मंगल प्रदोष व्रत कथा
स्कंद पुराण के अनुसार, प्राचीन काल में एक विधवा ब्राह्मणी अपने पुत्र को लेकर भिक्षा लेने जाती थी और संध्या को वापस लौट आती थी।
एक दिन जब वह भिक्षा लेकर लौट रही थी तभी उसे नदी किनारे एक सुन्दर बालक दिखाई दिया जो विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था। शत्रुओं ने उसके पिता को मारकर उसका राज्य हड़प लिया था।
उसकी माता की मृत्यु भी अकाल हुई थी। ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना लिया और उसका पालन-पोषण किया।
कुछ समय पश्चात ब्राह्मणी दोनों बालकों के साथ देवयोग से देव मंदिर गई। वहां उनकी भेंट ऋषि शांडिल्य से हुई।
ऋषि शांडिल्य ने ब्राह्मणी को बताया कि जो बालक उन्हें मिला है वह विदर्भ देश के राजा का पुत्र है जो युद्ध में मारे गए थे और उनकी माता को ग्राह ने अपना भोजन बना लिया था।
ऋषि शांडिल्य ने ब्राह्मणी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। ऋषि आज्ञा से दोनों बालकों ने भी प्रदोष व्रत करना शुरू किया।
एक दिन दोनों बालक वन में घूम रहे थे तभी उन्हें कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आई। ब्राह्मण बालक तो घर लौट आया किंतु राजकुमार धर्मगुप्त अंशुमती नाम की गंधर्व कन्या से बात करने लगा।
गंधर्व कन्या और राजकुमार एक दूसरे पर मोहित हो गए, गंधर्व कन्या ने विवाह करने के लिए राजकुमार को अपने पिता से मिलने के लिए बुलाया।
दूसरे दिन जब वह दोबारा गंधर्व कन्या से मिलने आया तो गंधर्व कन्या के पिता ने बताया कि वह विदर्भ देश का राजकुमार है। भगवान शिव की आज्ञा से गंधर्वराज ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से कराया।
इसके बाद राजकुमार धर्मगुप्त ने गंधर्व सेना की सहायता से विदर्भ देश पर पुनः आधिपत्य प्राप्त किया।
यह सब ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने का फल था। स्कंदपुराण के अनुसार जो भक्त प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा के बाद एक्राग होकर प्रदोष व्रत कथा सुनता या पढ़ता है उसे सौ जन्मों तक कभी दरिद्रता नहीं होती।
मंगल प्रदोष व्रत पूजा विधि – Mangal Pradosh Vrat Pooja Vidhi
- इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान शिव का अभिषेक करें।
- उन्हें उनकी प्रिय वस्तुओं का भोग लगाएं।
- व्रत रखने वाले लोग इस दिन फलाहार ग्रहण करते हैं।
- प्रदोष व्रत की पूजा शाम को प्रदोष काल यानी की गोधूली बेला में करना उचित माना गया है।
- प्रदोष की पूजा करते समय साधक को भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का पाठ करना चाहिए।
- इसके बाद शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए।
- इस दिन शिव चालीसा पढ़ना भी उत्तम माना गया है।
- विधि विधान पूजा के बाद शिव आरती करें और प्रसाद सभी में बांटकर खुद भी ग्रहण कर लें।
भौम (मंगल) प्रदोष व्रत का महत्व – Mangal Pradosh Vrat Benefits
- मंगलवार के दिन हनुमान जी की उपासना की जाती है।
- जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष हो उसे भौम प्रदोष का व्रत जरूर रखना चाहिए।
- मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान हनुमान को घी की नौ बाती वाला दीपक जलाने से हर तरह के कर्ज से मुक्ति मिलती है. ये व्रत रखने वालों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- इस दिन व्रत और पूजा-पाठ करने से सारे कष्ट मिट जाते हैं और शिव-हनुमान की विशेष कृपा होती है।
Language | Hindi |
No. of Pages | 2 |
PDF Size | 0.04 MB |
Category | Vrat Katha |
Source/Credits | drive.google.com/ |
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