स्वदेशी होली आन्दोलन – Mahatma Gandhi Ki Swadeshi Holi Book Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
मावत की विर ादि विर ीम बहुत कीमती विदेशी साजिशिलीमा अर्खा प्रद कक्था को तो जो ्याहो स्वाधीना स्वराज्य को पडो तुझ निश्चय रखो न पर प्राधीना। फाली चढ़कर योली सडकर होगा विषका पीना बड़ी पड़ी फौजों के सम्मुख हस तानैंग सीना I|
देश भक्तों ने गवर्से -द की जलन को भरद ना । इससे गरं शाही के तन प्रायो बड़ा पसीना ॥ सत्याग्रह में दे भर्तीहों जो हों धरम धुरीना । अहिंसा ब्रत से टरें न कबहूँ चाहे तन होवे छीना ॥
पंर्ट प्रार्थर किले जसे जापानिनने कीना वैसे ही जुट जायो भारती जो तुम चाहो जीवा॥ सत्याग्रह स्वराज्य की आरोषधि है गी एक नवीना। भारत के उद्धार करन हित प्रभुने श्र्पण कीना ॥ असहयोग में करो न भर्ती जो हों चरित विद्दीना ।
कहें विनोद यों गड़बड़ होगी मन में रखो यकीना दीपक में श्री गांधी जी ने गाया गीत महान ।असहयोग धुरपद के माने सय ने लीन्हे मान ॥ ३ ॥ अहमदाबाद की महा सभा ने देवर पूरा ध्यान । असहयोग के पूर करन हित करन लगे सामान ॥ ४ ॥
छोटे बड़े लाट सब मिलकर की चातुरो महान । गैर कानूनी स्वयं सेवक हैं यह कीन्हा एलान ॥ ५॥ पकड़ धकड़ को जारी करके अपनी दिखाई शान । मार कूट अरु गोली वमसे लीन्ही हुनके जान दे॥
इधर गांधी दल भी आकर डटा प्राय मैदान। दमन नीति अरु असहयोग संग होन लगी घमसान । ७ ॥ सरकारी जेले सब भरदी देश पै हो कुर्वान । यह हात्तत लखि नौकर शाही य हुत भई हैरान ॥ विदुर रूपधरि मालवि आये दोनों के दिन । कहै विनोद न निणय होगा निश्चय लो तुम जान
लेखक | विनोद-Vinod |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 30 |
Pdf साइज़ | 3.4 MB |
Category | काव्य(Poetry) |
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