महाभारत कालीन समाज | Mahabharat Kalin Samaj PDF

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महाभारत कालीन भारतीय समाज की प्रमुख समस्या क्या थी Pdf Free Download

महाभारत कालीन भारतीय समाज की प्रमुख समस्या

महाभारत को प्राचीन भारतीय संस्कृति, इतिहास धर्म, राजनीति तत्वज्ञान तथा उपाख्यानों का खजाना माना गया है भारतीय जीवन पारा का कोई भी ऐसा अंग नहीं है

जिसे व्यास ने न छुना हो और जिसकी व्याख्या न फी हो इसीलिए कहा गया है व्यावोकिकष्टं जगत्स्र्व । पौराणिक विस्वास तो यही है कि व्यास ने स्वय महाभारत की एक ही समय में रचना की पर आधुनिक खोजी के बाथार पर यह कहा जा सकता है

महाभारत का यह रूप एक समय का न होकर सवियों में परिवधित हुआ। जैसे-जैसे भारतीय सम्पता विकसित होती गई बीर उसकी विचारवाराबो मे उम्रति होती गई,

तथा जैसे-जैसे सास्कृतिक बौर सामाजिक पुष्ठभूमियों मे परिवर्तन होते गये बैसे वसे ही महाभारत में विकास की ये सब सामग्रियां एकत्रित होती गई ।

महाभारत की विचारधाराओं और भौगोलिक आधारो में जो विसंगतियां पाई जाती है उन सब का मुख्य कारण यही है कि महा भारत एक कालिक न होकर बहुकालिक है।

उसमे एक ही विचारधारा को प्रश्रय न देवार अनेक विचारधाराओं को जिनका आपस में मेल नही खाता पा पर जिनका भारतीय तत्वज्ञान से विच्छिन्न सबध है प्रश्रय दिया गया है।

पर महाभारत केवल दर्शन या तत्वज्ञान और धार्मिक विचारों का ही पुजी करण नहीं है। महाभारत के सारे प्रासाद की रचना मानवता की नीव पर उठाई गई है इसीलिए इसके पात्र देवता न होकर मनुष्य है

मानय में जो सारी अच्छाइयों और बुराइयां होती है उनमे है। मानवता को ही पर्म का प्रतीक मानने के कारण व्यास ने धर्म की व्याल्या ही कुछ दूसरे तरीके से की है। व्यास के अनुसार धर्म वाद्याचारों और विश्वासों का प्रतीक न होकर वह पावित है

लेखक सुखमय भट्टाचार्य-Sukhamay Bhattacharya
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 650
Pdf साइज़20.1 MB
Categoryइतिहास(History)

महाभारत कालीन समाज – Mahabharat Kalin Samaj Book/Pustak Pdf Free Download

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