यम पितृ परीचय – Yama Pitru Parichay Book/Pustak Pdf Free Download
यम पितृ परीचय
अर्थ जो पर्युक्त भांति किये गए थे अच्छे, ठीक और वेदोंका शुद्धभाष प्रकट करने वाले प्रतीत नहीं हुए । इसका यही था कि वे स्वयं उनके ऐसे अर्थ करते जो उन्हें ठीक और वेद के प्रतीत होते।
तद्नुसार यह ग्रन्थ तय्यार हुआ और संग्रह में आए सूक्त और मन्त्रोंके अर्थ इसमें अङ्कित हुए । प्रन्थ के अध्ययन से जान सकेंगे कि पं० जी को इस प्रन्थ के तय्यार करने में कितना करना पड़ा है।
पूरे सूक्तों का अर्थ करते समय सूक्तगत मन्त्रोंको पारस्परिक सङ्गति लगाना सुगम काम नहीं। इस काम की कठि नता का अनुभव कुछ वे ही विद्वान् कर सकते हैं
जिन्हें इस प्रकार के कार्य करने का कभी अवसर प्राप्त हुआ हो । प्रन्थमें मन्त्रोंके अर्थ सप्रमाण प्रथम संस्कृत में किये गये फिर उनकी भाषा मी करदी गयी है
जिससे विद्वान् और जन साधारण सभी श्रेणीके मनुष्य लाभ उठा सकें । ग्रन्थके प्रारम्भ ही में विद्वान् लेखक ने जो शच्दार्था- दि समन्वय दिये हैं उनसे अन्य की और भी अधिक बढ़ गयी है ।
ग्रन्य के तय्यार हो जाने पर वह निरीक्षण के लिये करिप्रय विद्वानोंको सेवामें भेजा गया, उन्होंने निरीक्षण करके अपनी २ लिखित सम्मतियां भेजी हैं जो इस लेख के अन्तमें मनुष्य लाभ उठा सकें ।
प्रन्थके प्रारम्भ ही में विद्वान् लेखक ने जो शब्दार्था-दि समन्वय दिये हैं उनसे अन्य की उपयोगिता और भी अधिक बढ़ गयी है प्रन्य के तय्यार हो जाने पर वह के लिये सेवामें भेजा गया,
उन्होंने निरीक्षण करके अपनी २ लिखित सम्मतियां भेजी हैं जो इस लेख के अन्तमें अकित है। सभी विद्वानोंने ग्रन्थकी उपयोगिता प्रदर्शित की है । ग्रन्थ तथा की पर दृष्टिपात करने
लेखक | प्रियरत्न जी-Priyratn ji |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 455 |
Pdf साइज़ | 17.5 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
यम पितृ परीचय – Yama Pitru Parichay Book/Pustak Pdf Free Download