कुंडलिनी तंत्र – Kundalini Tantra Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
इस प्रकार आवरण कम होने पर आत्मिक शक्ति अधिक रहती है और आवरणों की संख्या बढ़ जाने पर आत्मिक शक्ति कम हो जाती है।
हम लोग इन आवरणों को कम करने के लिए अपनी भाव-तरंगों को मन्त्र के माध्यम से इब्छित दिशा की ओर प्रसारित करते है।
आत्मा से आत्मिक तरंगे (Y” Rays) भावनात्मक आवरणों (कर्म बन्धनों) से छनकर (‘D’ Rays) शरीर से बाहर आती है
फिर यह ( ‘G’ Rays के रूप में) आत्म शक्ति तरंगे मन्त्र तरंगों (‘M Rays) के साथ मिलकर (Modulate होकर) जहाँ तक मन्त्र तरंगों (M- Rays) की गति होती है, वहाँ तक जाती है।
यह मन्त्र तरंगें विशेष जप-संख्या, [जो प्रत्येक मन्त्र के लिए ऋषियों (Researchers ) द्वारा विशेष निरीक्षणों और प्रयोगों के आधार पर पहले ही निर्धारित कर दी गई है।
के अनुरूप विशेष दूरी तक किसी भी दिशा में भेजी जा सकती हैं। जैसे किसी मन्त्र की जप संख्या चार लाख है।
इसका तात्पर्य है कि ४ लाख जप पूरे कर लेने पर हमारी आत्मिक शक्ति उस स्थान तक पहुँच जायगी जहाँ की शक्ति मिलने से हमारा अभीष्ट सम्पन्न होता है।
मान लो ४ लाख जप पूरे होने पर हमारी शक्ति ४ करोड़ मील पहुँचती है।
इसका तात्पर्य यह है कि ४ करोड़ मील दूर कोई ऐसा शक्ति स्रोत (नक्षत्र आदि) है जिससे टकराकर मन्त्र-युक्त आत्मिक-शक्ति-तरंगें वापस आती हैं और साधक की आत्मा पर आच्छादित आवरणों को प्रभावित कर तत्सम्बन्धी कर्मबन्धन संस्कारों को हटाने में सहायता देती हैं।
इन पूर्वाच्यादित कर्म बन्धन-संस्कार-आवरणों को नष्ट करते जाने से आत्मा की स्वत: ज्योति शुद्ध होती जाती है ।
मोक्ष-कामी व्यक्ति ऐसे ही आत्म शुद्धि के मन्त्रों का प्रयोग करते हैं। मन्त्र पुरुष पीछे एरियलों की बात करते समय बताया गया है|
लेखक | महर्षि यतीन्द्र-Maharishi Yatindra |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 459 |
Pdf साइज़ | 169 MB |
Category | ज्योतिष(Astrology) |
कुंडलिनी तंत्र अष्टांग योग सहित – Kriyatmaka Kundalini Tantra Book/Pustak Pdf Free Download