ज्योतिष सर्व संग्रह – Jyotish Sarva Sangrah Book/Pustak PDF Free Download

जातक प्रकरण प्रथम भाग
अरुण २ श्वेत ३ हरित ४ पाटल ५ पांड ६ पिंगल ७ चित्रा = खेत ६ पूर्वार्थ सुवर्ण उत्तरार्ध पिंगल १० पिंगल११ विचित्र १२ भूरा ॥
राशियों के भाव एक चर दूसरी स्थिर तीसरी द्विस्वभाव इसी प्रकार १२ राशियों को गिने इनकी यही तीन संज्ञा हैं। ग्रहों के रंग लिख्यते रक्तावङ्गारकादित्यो श्वेतो शुक्रनिशाकरी । हरितः बुधो गुरुः पीत शनिः कृष्णस्तथैवच ।
राहु केतु स्तथा धूम्रकार यच्च विचक्षणः॥ टीका-मंगल, सूर्य इनका लाल रङ्ग-चन्द्रमा शुक्र का सफेद रंग, बृहस्पति का पोला, युध का हरा, शनि का काला राहु केतु का धुना जैना ।
ग्रह स्थान कहते हैं सूर्य तो शरीर चन्द्रमा मन, मंगल सूर्य, युद्ध वाणी, बृहस्पति ज्ञान व सुख शुक्र, यीये व्यर्था कामदेव शनि दुःख । और बलवान ग्रह पुष्ट और निर्बल ग्रह बलहीन होते हैं ।
टीका-सूर्य राजा, चन्द्रमा मन्त्री,मंगल सेनापति,बुध गुरु शुक्र मंत्र, शनि देव, जो ग्रह फल देने वाला है वह ऐसे ही अधिकारी के द्वारा फल देता है। स्वामी देखना मेपवृश्चिकयोभो मः शुक्रोवृषतुलाधिपःबुधः तिता ॥
यस्य प्रहस्य वारेतु यत्कर्म मुनिमिस्मृतम् । काल होरा स तस्य स्यात् तत् कर्म-शुभ प्रदम् ॥
टीका-जिस दिन वो बार हो उसी वार की होरा से बड़ी रहती है फिर छठे पारे होरा ॥ पड़ी गैते रविवार से शुक्रकी। फिर से घड़ी बुध को । फिर २ाषड़ी चन्द्रमाकी । राबड़ी शनिश्चरी । फिर २॥
चड़ी गुरु की । फिर से घड़ी मङ्गल। इसी रीति से सब दिन की होरा जानो। सोमवार के दिन पहले चन्द्रमा की शा घड़ी दिन चढ़े तक होरा रहती है।
फिर छटे ग्रह की उसी दिन फिर उससे छटे की ऐसे ही दिन रात्रिें २४ होरा सातों वारों की होती हैं जरूरी कार्य जिस बारमें करना लिखा है उसदिन वो वार न हो तो उसकी में करें । जौनसा बार हो २॥
घड़ी की पहिले उसकी होरा होती है फिर छठे छटे की आवेगी गुरु की होरा में विवाह शुभ है यात्रा में शुक्र की होरा ।
लेखक | रामस्वरूप शर्मा-Ramswarup Sharma |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 174 |
Pdf साइज़ | 5.2 MB |
Category | ज्योतिष(Astrology) |
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