कर्म रहस्य की कहानी | Secret of Karma PDF In Hindi

कर्म की कहानी – Story of Karma PDF Free Download

कर्म का सिद्धांत

कारण जीवनमुक्त पुरुषोंके स्वभावों में भी भिन्नता रहती है। इन विभिन्न स्वभावोंके कारण ही उनके द्वारा विभिन्न कर्म होते हैं पर वे कर्म दोषी नहीं होते, प्रत्युत सर्वथा शुद्ध होते हैं और उन कमोंसे दुनियाका कल्याण होता है ।

संस्कार अंशसे जो स्वभाव बनता है, वह एक दृष्टि से महान् प्रबल होता है “स्वभावो मूर्नि वर्तते अतः उसे मिटाया नहीं जा सकता। इसी प्रकार ब्राह्मण, क्षत्रिय आदि वर्णों का जो स्वभाव है, उसमें कर्म करनेकी मुख्यता रहती है।

इसलिये भगवान्ने अर्जुनसे कहा है कि जिस कर्मको तू मोहवश नहीं करना चाहता, उसको भी अपने स्वाभाविक कर्मसे बैधा हुआ परवश होकर करेगा (गीता अब इसमें विचार करनेकी एक बात है कि एक ओर तो स्वभावकी महान् प्रबल है

उसको कोई छोड़ ही नहीं सकता कर दूसरी और मनुष्य-जन्मके उद्योगको महान् प्रबलता है कि मनुष्य सब कुछ करनेमे स्वतन्त्र ह अतः इन दोनों में किसकी विजय होगी और किसकी पराजय होगी ?

इसमें विजय पराजय की बात नहीं है अपनी-अपनी जगह दोनों ही प्रबल है। परन्तु यहाँ स्वभाव न छोड़नेकी जो बात है, वह जाति-विशेषके स्वभावकी बात है। तात्पर्य है कि जीव जिस वर्णमें जन्मा है,

जैसा रज-वीर्य था, उसके अनुसार बना हुआ जो स्वभाव है, उसको कोई बदल नहीं सकता; अतः वह स्वभाव दोषी नहीं है, निर्दोष है ।

जैसे, ब्राह्मण, क्षत्रिय आदि वर्णों का जो स्वभाव है, वह स्वभाव नहीं बदल सकता और उसको बदनाने की आवश्यकता भी नहीं है तथा उसको बदलने के लिये शास्त्र भी नहीं कहता ।

परन्तु उस स्वभावमें जो अशुद्ध अंश (राग-द्वेष) है, उसको मिटानेकी भगवान्ने मनुष्यको दी है। अतः जिन दोषोंसे अशुद्ध बना है, उन दोषों को पूर्वक अपने शुद्ध बना सकता है।

लेखक रामसुख दास-Ramsukha Das
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 76
Pdf साइज़3.8 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

कर्म रहस्य – Karma Rahasya Book Pdf Free Download

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