कम्ब रामायण | Kamb Ramayan PDF In Hindi

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कम्ब रामायण – Kamb Ramayan PDF Free Download

मंगलाचरण काव्य-पीठिका

हम उस भगवान् की ही शरण में हैं, जो समस्त लोको का मर्जन, उनकी रक्षा ओग उनका विनाश- ये तीनों क्रीडाऍ निरतर करता रहता है।

बडे-बडे आत्मज्ञानी भी उस परमात्मा के पूर्ण स्वरूप को नही जान सकते उम परमात्मा ( के तत्त्व ) को समझाना मेरे जैसे (मदबुद्धि) व्यक्ति के लिए असभव है।

फिर भी शास्त्रों में प्रतिपादित त्रिगुणी ( सत्त्व, रज और तम) मे जिनका प्रतिस्प बनकर वह परमात्मा त्रिमूर्ति के रूप में प्रकट हुआ, उनमें से प्रथम गुण के स्वरूप (विष्णु) भगवान् के कल्याणकारक गुणो के सागर में गोते लगाना तो उत्तम ही है।

जिन शानियो ने आरभ तथा समाप्ति में ‘हरिः ॐ कहकर नित्य और अनन्त वेदो को अधिगत ( प्राप्त ) कर लिया है ओर

जो अपने परिपत्र ज्ञान के कारण समार त्यागी बन चुके हैं, वे महानुभाव उस (विष्णु) भगवान् के उन चरणों को, जो मन्मार्ग पर चलनेवाले भक्तों के उद्धारक है, छोडकर अन्य किसी से प्रेम नहीं करते।

अकलक विजयश्री से विभूषित ( श्रीरामचन्द्र ) के गुणों का वर्णन करने की अभिलाषा मै कर रहा हूँ, यह ऐसा ही है,

जैसा कि कोई बिल्ली, घोर गर्जन करनेवाले ऊँची तरंगों से भरे क्षीरसागर के निकट पहुँचकर उसके समस्त क्षीर को पी जाने की अभिलाषा करे।

अध्याय ३: कोशलदेश पटल

महर्षि वाल्मीकि ने अतिपरिष्कृत और सुन्दर श्लोको मे रामायण की रचना की है, जो देवताओं के लिए भी कर्णामृत के समान हैं ।

उम काव्य में वर्णित कोशल देश की महिमा, प्रेम से विवश होकर मै गा रहा हूँ, किन्तु यह कार्य मेरे लिए वैसा ही दुष्कर है, जैसा गूँगे व्यक्ति के लिए बोलने का प्रयास करना।

वह कोशल देश वडा ही वैभवपूर्ण है, वहाँ के खेतो की मेड़ो पर मोती और नालो के जल मे शख विखरे रहते हैं, तीव्र जल धाराओ के किनारों पर सोने के ढेले पड़े रहते हैं,

उन नालों में जहाँ भैंसें गोता लगाये पड़ी रहती हैं, रक्तवर्ण के कमल-पुष्प बड़े ही सुन्दर दृश्य उपस्थित करते हैं, जोतने के उपरान्त जब खेत समतल बना दिये जाते हैं,

तब वहाँ मणियाँ चमकने लगती हैं, इतना ही नहो, शालि धान के खेतों में जहाँ निरन्तर जल का निंचाव होता रहता है,

इस बाकर विश्राम करने लगते हैं, गन्ने के खेतो मे रक्तवर्ण लाल-लाल मीठा मधु बहता रहता है और पुष्प वाटिकाओं में मुण्ड-के-झुण्ड भोरे मॅडराते रहते हैं।

वह प्रवाह कभी बडें-वडे प्रस्तर-खडो को लुढ़काता हुआ, कभी गगनचुम्बी दृक्षो को उखाडता हआ और कभी अपने समीप-स्थित पत्र-शाखा जेसी सभी वस्तुओं को उठाये हए उल रहा था वह यवाह भी क्या था ? जब श्रीरामचन्द्र समुद्र पार करके लंका में पहुँछना चाहते थे, तव (वह प्रवाह ) हिल्‍्लोलो से भरे हुए समुद्र म सेतु बॉधने का आयोजन करनंवाली वानग्-सना ही जान पड़ता था।

( अर्थात्‌; पत्थरों तथा दृक्चो से भरा हुआ वह प्रवाह समुद्र पर पुल बॉधनेवाली वानर-सेना के सच्श दीखता था। ) उसके मीठे जल पर भौरों और मक्खियो का मुण्ड मेंडराता हुआ दिखाई पडता था , वह प्रवाह किनारों को लॉघकर उद्दाम उमंग के साथ वह चला , उसका अन्तर भाग स्वच्छ नहीं था और ( वह ) साखुवान* के बडे-बडे वृक्ती को गिराता हुआ ठौड़ा जा रहा था, जसे कोई मगप डकार लेत हुए भागा जा रहा हो |

उस प्रवाह भे बड़े-वडे मृग थे; भारी झुखवाले मत्त गज थे , वह भयकर कोलाहल करता हुआ अपने आगे-आगे ध्वजाओ के समान बहुत-सी लताओ* को बहाता चला जा रहा था (इन सबसे वह प्रवाह ) ऐसा लगता था, मानो समझुद्र पर चढाई करने के लिए कोई बडी सेना को साथ लिये जा रहा हो |

[ व्षो-प्रवाह का वन करने के पश्चात्‌ अब काति सरयू नदी का विशेष वर्णन ऋणा ६१] क्षुग्ध जलघि से परिवृत इस धरती पर जीवन धारण करनेवाले जो प्राणी हैं, उनके लिए मसरबृनदी मातृस्तन्य-सद्श है। खरुय॑वश के नरेश जिस महान्‌ सद्धर्म का पालन अनादि काल से करत आ रहे थे, उसी वर्म का पालन वह नदी भी कर रही है।

सरबृ्‌ की धारा, कोशल देश की रमणियो के बनाये सुगधपूर्ण, कु कुस, केसर, कोष्ठ ( एक सुगधित द्रव्य ) इलायची, शीतल चंदन, सिन्‍्दरर, नागरमोथा, गुस्युल, मोम आदि पढाथा के मिलने से बहुत ही सुरावत रहती है) ( जब ख्रियाँ नदी से स्नान करती थी; तव थे बस्तुएँ उसके ग्रवाह मे मिल जाती थी और नदी का जल सुगन्धित हो जाता था। ) 4 5६६५ पर की वाढ, अपने जल-रूपी वाणों के कारण आसपास रहनेवाले व्याघ लागा के छाट-बड गाँवो म बड़ी हलचल मचा देती हैं।

वह व्याध-नारियों को अपनी छाती पीटकर रोते-कलपन हुए भागने पर वाध्य कर देती है] ऐसे समय में वह न्‌दी शत्रुओं के लिए भयकर ( किसी ) वीर नरेश की सेना का दृश्य उपस्थित करती है |

लेखक कंबन – Kamban
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 562
PDF साइज़ 28.1 MB
Category धार्मिक(Religious)

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4 thoughts on “कम्ब रामायण | Kamb Ramayan PDF In Hindi”

  1. मैं एक पुस्तक खरीदने की अभिलाषा रखता हूं।
    किताब कहां मिलेगी? कृपया पता बताने का कष्ट करें।
    धन्यवाद।

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