मुन्तखब अहादीस | Muntakhab Ahadees PDF In Hindi

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मुन्तखब अहादीस – Muntakhab Ahadees PDF Free Download

मुंतख़ब हदीस

हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह फरमाते हैं कि कुछ फ़रिश्ते नबी करीम के पास उस वक्त आए, जबकि आप सो रहे थे फ़रिश्तों ने आपस में कहा : आप सोए हुए हैं।

किसी फ़रिश्ते ने कहा आंखें सो रही हैं लेकिन दिल तो जाग रहा है। फिर आपस में कहने लगे : तुम्हारे इन साथी (मुहम्मद) के बारे में एक मिसाल है, उनको उनके सामने व्यान करो ।

दूसरे फ्रिश्तों ने कहा : वह तो सो रहे हैं (लिहाजा व्यान करने से क्या फ़ायदा?) उनमें से बाज ने कहा: बेशक आंखें सो रही हैं, लेकिन दिल तो जाग रहा है।

फिर फ़रिश्ते एक दूसरे से कहने लगे उनकी मिसाल ऐसी है जैसे एक शख्स ने मकान बनाया और उसमें दावत का इंतजाम किया। फिर लोगों को बुलाने के लिए आदमी भेजा।

जिसने इस बुलाने वाले की बात मान, ली वह मकान में दाखिल होगा और खाना भी खाएगा और जिसने इस बुलाने वाले की बात न मानी वह न मकान में दाखिल होगा और न ही खाना खाएगा।

यह सुनकर फ़रिश्तों ने आपस में कहा : इस मिसाल की वजाहत करो, ताकि यह समझ लें। बाज़ ने कहा : यह तो सो रहे हैं (वजाहत करने से क्या फ़ायदा?) दूसरों ने कहा आंखें सो रही हैं मगर दिल तो बेदार है।

फिर कहने लगे वह मकान जन्नत है (जिसे अल्लाह तआला ने बनाया और उसमें मुख़्तलिफ़ नेमतें रखकर दावत का इंतजाम किया) और (उस जन्नत की तरफ़) बुलाने वाले हज़रत मुहम्मद हैं।

जिसने मुहम्मद की इताअत की, उसने अल्लाह तआला की इताअत की (लिहाजा वह जन्नत में दाखिल होगा और वहां की नेमतें हासिल करेगा) और जिसने मुहम्मद की नाफरमानी की,

उसने अल्लाह तआला की नाफरमानी की (लिहाजा यह जन्नत की नेमतों से महरूम रहेगा) मुहम्मद ने लोगों की दो क़िस्में वना |

ऐसे दाई तैयार हों जो अपने इल्म व अमल, फिक्र व नज़र तरीके दावत और जीक व हाल में अम्बिया अलैहिस्सलाम और खुसूसन मुहम्मद से ख़ास मुनास्वत रखते हो।

सिहते ईमान और ज़ाहिरी ज़मले सालेह के साथ उन के बातिनी अहवाल भी मिनहाजे मुयत पर हों, मुहब्बते इलाही, सशिष्यते इलाही, जल्लुक मल्लाह की कैफियत हो, अखलाक व आदात व शमाइल में इल्तिबाञ् सुनने नब्बी इतमाम हो।

हुम्बु तिल्लाह, बुजु तिल्लाह, राफ्त व रहमत बिलमुस्लिमीन और फक्त अ उनकी दावत का मुहर्रिक हो, और अम्बिया अलैहिस्सलाम के के बार-बार दुहराए हुए उसूल के मुताबिक सिवाए अज इलाही की तलब के कोई मकसूद न हो,

अल्लाह तड़ाता की राह में जान व माल वेकीमत करने का शौक उन्हें सीधे-सीधे लिये फिरता हो और जाह व मन्सव, माल व दौलत, इज्ज़त व सुर नाम व नमूद और जाती आराम व आसाइश का कोई स्थान यह में मोन न हो, उनका बैठना, उठना, बोलना, चालना गरज उन की जिन्दगी की हर जुबिश व हरकत उसी एक सम्त में सिमट कर रह जाये।

जिए वजुद में लाह का तरीका जिन्दा करने और ज़िन्दगी के तमाम शुवों को अल्लाह जल्ल त शाहू के अयामिर और नबी-ए-करीम के तरीके पर लाने और काम करने वालों में यह सिफात पैदा करने के लिए छ नम्बर मुकर्रर गए, उस वक्त के अहले तक उतमा व मशाइख ने ताईद फ़रमाई, उन के फर्जन्दे रशीद हजरत मौलाना मुहम्मद यूसुफ रहमतुल्लाह अलैह ने अपनी दाईयाना मुजाहिदाना जिन्दगी इस काम को इसी महज पर बढ़ाने और इन सात के हामिल मजमा को तैयार करने की कोशिश में खपा दी.

इन आली सिफात के बारे मेंहदीस, सीरत और तारीख़ की मुक्तावर कुतुब से रसूलुल्लाह और सहाना-ए-कराम ॐ की ज़िन्दगी के बाआत नमूने के तौर पर “हयातुस्सहावा” की तीन जिल्दों में जमा किए।

यह किताब उन की हयात ही में बहम्दुल्लिाह शाय हो गई।

मौलाना मुहम्मद यूसुफ रहमतुल्लाह अलैह ने इन सिफात (छः नम्बरों के बारे में मुन्तलब अहादीसे पाक का मजमूजा भी तैयार कर लिया था, लेकिन उनकी तलब य तकमील के आखिरी मराहिल से कबल ही वह इस जलने फानी से आलमे जाविदानी की तरफ रिहलत फरमा गये मुलअदिर सुद्दाम व से हज़रत रहमतुल्लाह ने इस मजमूर की तैयारी का ज़िक फरमाया और इस पर हजरत रहमतुल्लाह अलैह अल्लाह जल्लन शाहू के शुक्र का और अपनी खुशी.

लेखक मुहम्मद यूसुफ-Muhammad Yusuf
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 735
Pdf साइज़28.2 MB
Categoryधार्मिक(Religious)

मुन्तखब अहादीस – Muntakhab Ahadees Book/Pustak Pdf Free Download

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