जीवन उपयोगी प्रवचन – Useful Lessons For Life Pdf Free Download
जीवन सुधार में उपयोगी प्रवचन
हम विचार करके देखते हैं तो स्पष्ट मालूम होता है कि मनुष्य ही परमात्मप्राप्तिका अधिकारी है । जैसे चारों आश्रमोंमें ब्रह्मचर्याश्रम केवल पढ़ाईके लिये है।
इसी तरह चौरासी लाख योनियों में मनुष्य-शरीर ब्रह्मविद्याके लिये है। ब्रह्मविद्याकी प्राप्तिके लिये ही मनुष्य-शरीर है और जगह ऐसा मौका नहीं है, न योग्यता है, न कोई अवसर है;
क्योंकि अन्य योनियोंमें ऐसा क्वेक नहीं होता। देवताओंमें समझनेकी ताकत है, पर वहाँ भोग बहुत है।
भोगी आदमी परमात्मामें नहीं लग सकता। यहाँ भी देखो, ज्यादा धनी आदमी सत्संगमें नहीं लगते और जो बहुत गरीब हैं, जिनके पास खाने पीने को नहीं है, वे भी सत्संगमें नहीं लगते हैं ।
उन्हें रोटी-कपड़ेकी चिन्ता रहती है। इसी तरह नरकोंके जीव बहुत दुःखी हैं। बेचारे उनको तो अवसर ही नहीं मिलता है।
देवता लोग भोगी हैं, उनके पास बहुत सम्पत्ति है, वैभव है, पर वे परमात्मामें नहीं लगते, क्योंकि सुख-भोगमें लगे हुए हैं, वहीं उलझे हुए हैं। अतः एक मनुष्य ही ऐसा है जो परमात्माकी प्राप्तिमें लग सकता है।
उसमें योग्यता है। भगवान्ने अधिकार दिया है इसलिये मनुष्य-शरीरकी महिमा बहुत ज्यादा है, देवताओंसे भी अधिक है। शरीर तो देवताओका हमारी अपेक्षा बहुत शुद्ध होता है।
हमलोगोंका शरीर बड़ा गन्दा है । जैसे कोई सूअर मैलेसे भरा हुआ यदि हमारे पास आ जाता है तो उसको छूनेका मन नहीं करता, दुर्गन्ध आती है। ऐसे ही हम लोगों को शरीर से देवताओं को दुर्गन्ध आती है।
ऐसा दिव्य शरीर है उनका । हमारे शरीर में पृथ्वी- तत्त्व की प्रधानता है । देवताओं के शरीर में तेजस्-तत्त्व की प्रधानता है। परन्तु परमात्माकी प्राप्तिका अधिकार जितना मनुष्य-शरीर- वालोंको मिलता है, इतना उनको नहीं मिलता ।
लेखक | रामसुख दास-Ramsukha Das |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 125 |
Pdf साइज़ | 7 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
जीवन उपयोगी प्रवचन – Jeevan Upayogi Pravachan Book/Pustak Pdf Free Download