‘दक्षिण भारत के इतिहास का प्रारंभ कहाँ से हुआ’ PDF Quick download link is given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Where did the history of South India begin’ using the download button.
दक्षिण भारत के राज्य – History States of South India PDF Free Download

दक्षिण भारत
सुप्रसिद्ध विचारक काष्ट का यह निर्वाचन सर्वथा माननीय है कि इतिहास का वास्तविक आधार भूगोल है। किसी क्षेत्र अथवा देश की ऐतिहासिक गतिविधियाँ वहाँ की भौगोलिक परिस्थितियों से ही निर्धारित होती हैं।
उत्तर भारत के ऐतिहासिक क्रियाकलापों के संचालन एवं नियन्त्रण में जो भूमिका नगाधिराज हिमालय की रही है उससे कथमपि कम महत्वपूर्ण भूमिका पश्चिमी एवं पूर्वी घाट की पहाड़ियों सहित विन्ध्यपर्वत श्रेणियों की नहीं है।
दक्षिण भारत अपनी भौगोलिक बनावट में यूरोपस्थ दक्षिणी इटली की भाँति अपने में स्वतन्त्र भौगोलिक इकाई प्रतीत होती है।
इसके उत्तरी भाग में विन्ध्य एवं सतपुड़ा की सघन कान्तार-श्रेणियां, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर एवं दक्षिण में हिन्द महासागर की प्राकृतिक अवस्थिति इसके सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक विकास को उत्तर भारत की अपेक्षा किचित् भिन्न प्रकृति प्रदान करने में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
परन्तु उपर्युक्त भौगोलिक अवस्थिति से दक्षिण एवं उत्तर भारत की सांस्कृतिक धारा में सहजतः विद्यमान एक रुपता में कोई अंतर नहीं आया।
इसके प्रधान कारण रहे हैं विन्ध्य एवं सतपुड़ा पर्वतों के मध्य विद्यमान अनेक प्राचीन दुर्गम मार्ग, जिन्हें क्रमशः दोनों भागों के उत्साही विजेताओं, विचारकों व्यापारियों तथा प्रचारकों आदि ने समय-समय पर साहस के साथ उपयोग में लाया था।
सम्पूर्ण भारत के विभिन्न भू-भागों एवं प्रदेशों को जोड़ने में प्राचीन भारतीय व्यापारिक मार्गों की भूमिका विशेष उल्लेखनीय है।
उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने वाला प्रथम प्रमुख राजमार्ग प्रतिष्ठान से धावती आता राजमार्ग पर पड़ने वाले प्रमुख व्यापारिक नगरों में उज्जयिनी, माहिष्मती, जोन, विदिशा, वनसमय, कौशाम्बी तथा साकेत आदि परिगणित किए जा सकते हैं।
इसी मार्ग से कुशीनगर, पावा, वैशाली तथा पाटलिपुत्र भी जुड़ते थे। उक्त ये राजमार्ग की एक शाखा उज्जयिनी से दक्षिणी-पश्चिमी भारत के प्रमुख व्यापारिक केन्द्रों, यथा-प्रतिष्ठान तथा भृगुकच्छ आदि को जोड़ती थी।
भृगुकच्छ को जोड़ने वाले अनेक उपराजमार्ग तगर और इन्द्रगोप जैसे नगरों से जुड़े हुए थे। दूसरा महत्वपूर्ण राजमार्ग भृगुकच्छ से कौशाम्बी होता हुआ। तावलिप्ति पहुँचता था, जिसके फलस्वरूप
दक्षिण-पश्चिम भारत एवं दक्षिणी-पूर्वी भारतीय भू-भाग जुड़ते थे पेरिप्लस के 1 अनुसार ईसा की प्रारम्भिक सदियों में मृगुकच्या दक्षिणापथ के पश्चिमी तट पर सर्वाधिक महत्वपूर्ण बन्दरगाह था । विदेशी व्यापार की दृष्टि से दक्षिण भारत की स्थिति विशेष महत्वपूर्ण रही है।
पश्चिम में यूरेशियाई देशों, भूमध्यसागर, अफ्रीका तथा पूर्व में इण्डोनेशिया एवं चीन के मध्य स्थित होने के कारण भृगुकच्छ, कोचीन, कोपिकु-कोट, गोमा बम्बई, अरिकामे महाबलिपुरम और कावेरीपत्तनम् आदि बन्दरगाह द भारत के विशेष विकसित केन्द्र बन गए थे।
दक्षिण भारत : भौतिक रचना
भारत के उत्तरी भाग में ऊँचे पर्वत तथा दक्षिण में विस्तृत पठारी भाग है। इन दोनों के मध्य विशाल समतल मैदान अवस्थित है। पठारी भाग के पूर्व तथा पश्चिम अवस्थित सागरों के सहारे संकरे उपजाऊ मैदान स्थित है। इस प्रकार दक्षिण भारत को उच्चावच की दृष्टि से हम दो प्राकृतिक भागों में बाँट सकते हैं
- दक्षिणी पठार
- समुद्रतटीय मैदान
दक्षिण का पठार – भारत के उत्तरी विशाल मैदान के दक्षिण में त्रिभुजाकार पठारी प्रायद्वीप है। इसकी चौड़ाई दक्षिण की ओर क्रमशः कम होती गई है। यह भारत का सबसे प्राचीन भूखण्ड है, जो कठोर चट्टानों से निर्मित है।
ऋतु अपक्षय से यह अब पिस-पिट कर बहुत नीचा हो गया है। इस पठारी क्षेत्र में अनेक छोटी-छोटी पहाड़िया एवं ऊबड़-खाबड़ भूमि विद्यमान है।
इसकी औसतन ऊँचाई 300 से 900 मीटर के मध्य है। इस त्रिभुजाकार पठार का आधार उत्तर में तथा शीर्ष दक्षिण की ओर लम्बित है। इसके उत्तरी भाग में अरावली, विन्ध्याचल और सतपुड़ा की पहाडियाँ हैं।
इसके पूर्व तथा पश्चिम में क्रमशः पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट की पर्वत श्रेणियाँ विराजमान है। पश्चिमी घाट उत्तर से दक्षिण एक समुन्नत दीवार के सदृश खड़ा है।
इसका विस्तार लगभग 1500 किलोमीटर है तथा अरब सागर से इसकी दूरी यत्र-तत्र 30 किलोमीटर से लेकर 120 किलोमीटर तक परिमेय है।
प्राचीन भारतीय ग्रन्थों में इन घाटों के उत्तरी भाग को सह्याद्रि और दक्षिणी भाग को मलय पर्वत कहा गया है।
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 410 |
PDF साइज़ | 75 MB |
Category | History |
Source/Credits | drive.google.com |
Related PDFs
इतिहास – दक्षिण भारत के राज्य – History States of South India PDF Free Download