सविनय अवज्ञा आन्दोलन | Savinay Avagya Andolan PDF In Hindi

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महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा – Mahatma Gandhi And The National Movement Civil Disobedience PDF Free Download

सविनय अवज्ञा

असहयोग आन्दोलन के पश्चात् भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का संघर्ष चलता रहा और 1930 ई. तक कांग्रेस ने भारत की स्वतंत्रता के लिए सरकार से कई मोगें की, लेकिन कांग्रेस की सभी माँगे सरकार द्वारा ठुकरा दी जाती थी.

जनता के मन में यह बात घर कर गई थी कि सरकार को कुछ करने के लिए मजबूर किया ही जाना चाहिए. ब्रिटिश सरकार ने नेहरू रिपोर्ट को भी अस्वीकृत कर भारतीयों को क्रुद्ध कर दिया था.

अंततः 1930 ई. में कांग्रेस की कार्यकारिणी ने महात्मा गाँधी को सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाने का अधिकार प्रदान किया.

सविनय अवज्ञा आन्दोलन (Civil Disobedience Movement) की शुरुआत नमक कानून के उल्लंघन से हुई.

उन्होंने समुद्र तट के एक गाँव दांडी (Dandi, Gujarat) जाकर नमक कानून को तोड़ा. सारा देश जाग उठा.

हर आदमी गाँधीजी के नेतृत्व की राह देख रहा था. मार्च 1930 से महात्मा गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आन्दोलन ने एक नयी दिशा अख्तियार की, जिसकी शुरुआत सविनय अवज्ञा आन्दालन और दांडी मार्च से हुई.

इस प्रकार एक महान् आन्दोलन प्रारम्भ हुआ, जिसकी प्रतिक्रिया के रूप में सरकार का दमनचक्र भी तेजी से चला.

सरकार ने नमक पर आबकारी कर (custom duty) लगा दिया जिससे उसके खजाने में बहुत अधिक इजाफा होने लगा.

और तो और, सरकार के पास नमक बनाने का एकाधिकार भी था. गांधीजी का ध्येय था नमक कर पर जोरदार वार करना और इस अनावश्यक कानून को ध्वस्त कर देना.

2 मार्च, 1930 को गाँधीजी ने नए वायसराय लॉर्ड इरविन को ब्रिटिश राज में भारत की खेदजनक दशा के बारे में एक लम्बा पत्र भी लिखा, पर उन्हें उस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला.

दांडी मार्च (DANDI MARCH IN HINDI )

गाँधीजी के नमक सत्याग्रह से सारा भारत आंदोलित हो उठा.

12 मार्च को सबेरे साढ़े छः बजे हजारों लोगों ने देखा कि गाँधीजी आश्रम के 78 स्वयंसेवकों सहित दांडी यात्रा पर निकल पड़े हैं.

दांडी उनके आश्रम से 241 मील दूर समुद्र किनारे बसा एक गाँव है. गाँधीजी ने सब देशवासियों को छूट दे दी कि वे अवैध रूप से नमक बनाएँ.

वह चाहते थे कि जनता खुले आम नमक कानून तोड़े और पुलिस कार्यवाही के सामने अहिंसक विरोध प्रकट करे, पर अंग्रेजों ने लाठियाँ बरसायीं.

स्वयंसेवकों में से दो मारे गए और 320 घायल हुए. गाँधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया, जब वह यरवदा जेल में शांतिपूर्वक बैठे हुए थे, सारे देश में सविनय अवज्ञा के कारण ब्रिटिश सरकार की नाकों में दम था. जेलों में बाढ़ सी आ गई थी.

दांडी मार्च की तुलना पेरिस यात्रा से

सुभाष चन्द्र बोस ने दांडी मार्च तुलना नेपोलियन के एल्वा से लौटने पर पेरिस यात्रा से की. गाँधीजी ने 6 अप्रैल को नमक उठाकर कानून तोड़ा.

सारे देश के समक्ष उन्होंने यह कार्यक्रम प्रस्तुत किया

  1. गाँव-गाँव को नमक बनाने के लिए निकल पड़ना चाहिए.
  2. बहनों को शराब, अफीम और विदेशी वस्त्रों की दुकानों पर धरना देना चाहिए.
  3. विदेसही वस्त्रों को जला देना चाहिए.
  1. छात्रों को स्कूलों का त्याग करना चाहिए.
  2. सरकारी नौकरों को अपनी नौकरियों से त्यागपत्र दे देना चाहिए. 4 मई, 1930 ई. को गाँधीजी

की गिरफ्तारी के बाद कर बंदी को भी इस कार्यक्रम में शामिल कर लिया गया.

सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारण

इस आन्दोलन को शुरू करने के कारणों को हम संक्षेप में निम्न रूप से रख सकते हैं

  1. ब्रिटिश सरकार ने नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकृत कर भारतीयों के लिए संघर्ष के अतिरिक्त अन्य कोई मार्ग नहीं छोड़ा. उनके पास संघर्ष के अलावा और कोई चारा नहीं था.
  2. देश की आर्थिक स्थिति शोचनीय हो गयी थी.

    विश्वव्यापी आर्थिक मंदी से भारत भी अछूता नहीं रहा.

    एक तरफ विश्व की महान आर्थिक मंदी ने, तो दूसरी तरपफ सोवियत संघ की समाजवादी सफलता और चीन की क्रान्ति के प्रभाव ने दुनिया के विभिन्न देशों में क्रान्ति की स्थिति पैदा कर दी थी.

    किसानों और मजदूरों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गयी थी.

    फलस्वरूप देश का वातावरण तेजी से ब्रिटिश सरकार विरोधी होता गया. गांधीजी ने इस मौके का लाभ उठाकर इस विरोध को सविनय अवज्ञा आन्दोलन की तरफ मोड़ दिया.
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भाषा हिन्दी
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