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संस्कृत दोहे हिंदी अर्थ सहित – Dohavali Pdf Free Download

संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित

लेक बिभीषन राज कपि पति मारुति खग मीच । लही राम सों नाम रति चाहत तुलसी नीच ॥भावार्थ-श्रीरामजीसे विभीषणने लङ्का पायी, सुपर वने राज्य प्राप्त किया,

हनुमानजीने सेवककी पदवी या प्रतिष्ठा पायी और पक्षी जटायुने देवदुर्लभ उत्तम मृत्यु प्राप्त की | परंतु नीच तुलसीदास तो उन प्रभु श्रीरामसे केवल रामनाममें प्रेम ही चाहता है ॥ ३४॥

हरन अमंगल अघ अखिल करने सकल कल्यान । रामनाम नित कहत हर गावत बेद पुरान ॥भावार्थ-रामनाम सब अमङ्गलों और पापोंको हरनेवाला तथा सब कल्याणोंका करनेवाला है।

इसीसे श्रीमहादेवजी सर्वदा श्रीरामनामको रटते रहते हैं और वेद-पुराण भी इस नामका ही गुण गाते हैं। ३५ ॥ तुलसी प्रीति प्रतीति सों राम नाम जप जाग ।

होइ बिधि दाहिनो देइ अभागेहि भाग ॥ भावार्थ-तुलसीदासजी कहते हैं कि प्रेम और विश्वासके साथ राम-नामजपरूपी यज्ञ करनेसे विधाता अनुकूल हो जाता है और अभागे मनुष्यको भी परम भाग्यवान् बना देता है ।। ३६ ॥

जल थल नभ गति अमित अति अग जग जीव अनेक । तुलसी तो से दीन कहूँ राम नाम गति एक ।। चरोंमें भावार्थ-जगत्में चर-अचर अनेक प्रकारके असंख्य जीव है और कुछ ऐसे हैं,

जिनकी जलमें गति है; कुछकी पृथ्वीपर गति है और कुछकी आकाशमें गति है; परंतु हे तुलसीदास ! तुझ-सरीखे दीनके लिये तो रामनाम ही एकमात्र गति है ॥ ३७॥

राम भरोसो राम बल राम नाम बिस्वास । सुमिरत सुभ मंगल कुसल माँगत तुलसीदास ।। भावार्थ-तुलसीदासजी यही माँगते हैं कि मेरा एकमात्र रामपर ही भरोसा रहे,

रामहीका बल रहे और जिसके स्मरणमात्रसे ही शुभ मङ्गल और कुशलकी प्राप्ति होती है, उस रामनाममें ही विश्वास रहे ॥ ३८॥ राम नाम रति राम गति राम नाम बिस्वास । सुमिरत सुभ मंगल कुसल दुहुँ दिसि तुलसीदास ।।

लेखक हनुमान प्रसाद-Hanuman Prasad
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 160
Pdf साइज़33.1 MB
Categoryकाव्य(Poetry)

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