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चिकित्सा गाइड बुक – Chikitsa Guide By Kailash Banjara PDF Free Download
चिकित्सा गाइड बुक – Chikitsa Guide Book By Kailash Banjara
केवल शुद्ध और स्वच्छ जल तथा खाद्य पदार्थों का व्यवहार कीजिए | अधिक न खाइए, ताज़ा भोजन ओर सुन्दर पके फल आवश्यक प्रमाण में ही खाइर। भोजन धीरे-धीरे खूब चबा’ कर, नियमित रूप से, पथ्य-सद्वित करना चाहिए ।
शरीर को खस्थ, पुष्ठ और बलवान् बनाने वाला सादा और पौष्टिक भोजन करना चाहिए | खाद के वशीभूत होकर स्वास्थ्य ख़राब करने वाली चीज़ों को न खाना चाहिए ।
भोजन करने के पहले और पीछे हाथ-पैर और मुँह अवश्य धोना चाहिए।
दतोन आदि से सदा मसूड़े, दाँत और जीम साफ़ रखने चाहिए ।
प्रतिदिन प्रातःकाल साबुन या उबटन से शरीर को अच्छी तरह मल कर, स्वच्छ जल से स्नान करना और त्वचा तथा हाथ पैरों को साफ़ रखता चाहिए ।
अपने पेशे और ऋतु के अनुकूल साफ़ और ढीले कपड़े पहिनने चाहिए ।
सूर्य के प्रकाश में रहना चाहिए। कमरे या मकान में काम करने पर भी शुद्ध वायु तथा सूर्य की किरण आवश्यकता के अमुकूल सेवन करनी चाहिए ।
खुली, हवादार जगह में सोना और रात्रि को शीघ्र सोना तथा प्रातःकाल चार बजे उठना चाहिए । अधिक से अधिक आठ आर कम से कम छः घण्टे सोना चाहिए ।
छूत और उसके ज़हर से सदा वचना चाहिए। खूब शान्त ओर प्रसन्नचित्त रहना और जहाँ तक हो सके चिन्ता न करना चाहिए; क्योंकि इससे स्वास्थ्य को बंड़ी हानि पहुँचतो है |
नशे की चीज़ों को कभी सेवन न करे, वेश्यागामी और व्यभिचारी मनुष्यों से सदा दूर रहे । अपने मकान, पाखाना और नालियों को प्रति दिन क्रिनाइल के जल से साफ़ कराना चाहिए। सकान में पशु आदि के रहने का प्रवन्ध न करना चाहिए |
सड़ा-गला, वासी, दुरगेन्धित भोजन न करना चाहिए। सांक्रामिक रोगों में विशेष कर जल पका कर पीना चाहिए; और बाज़ार की चीज़ें–पूरी-कचोड़ी, दूध-दही आदि न खाने चादिए |
उपरोक्त वातों पर ध्यान रखते हुए महुष्य को अपने धर्म के अनुसार इश्वर-सज्ञन तथा परोपकार करना चाहिए । पाप-कर्मों से बचना और सत्सह्ः आदि करना चाहिए।
अब इसके बाद रोगों के विपय में लिखा जाता है। चिकित्सा करने में रोगी की सेवा उसका प्रधान अह्न है; क्योंकि वेद्य और ओपधि रोगी के योग्य होने पर भी यदि रोगी की सेवा यथोचित नहीं की जाती, तो उसका अच्छा होना कठिन हो जाता है ।
इसलिए यहाँ पर रोगी की सेवा के विपय में कतिपय आवश्यकीय उपदेश लिख जाते हैं, जिनका रोग के विपय में सबंदा स्मरण रखना विशेष लाभदायक सिद्ध होगा ।
Author | – |
Language | Hindi |
No. of Pages | 228 |
PDF Size | 6 MB |
Category | Ayurveda |
Source/Credits | archive.org |
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