ब्रहमचर्य की शक्ति | Brahmacharya Ki Shakti PDF

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ब्रह्मचर्य की प्रचण्ड शक्ति – Brahmachary Kee Prachand Shakti PDF Free Download

ब्रहमचर्य की शक्ति

जहाँ पर सत्’, प्रेम वा नारायण का निवास है, जिस हृदय में हरिनाम वा ब्रह्म बस जाए, तो वहाँ शोक, मोह, दुख, दर्द आदि का क्या काम ? क्या राजाधिराज के खेमे के सामने कोई दासी फटक सकती है ?

सूर्य जिस समय उदय हो जाता है तो कोई भी सोया नही रहता, पशुओं की आँखे खुल जाती है, नदियाँ जो बफ की चादर ओढे पड़ी थी, उन चादरो को फेक कर चल पड़ती है।

उसी प्रकार सूर्यो का सूर्य जब आपके हृदय मे निवास करता है, तो वहाँ शोक, मोह तथा दुख कैसे ठहर सकते है ? कभी नही, कदापि नही । दीपक जल पड़ने से पतंगे आप ही आप उसके आस-पास आने शुरू हो जाते हैं।

चश्मा’ जहाँ यह निकलता है, प्यास बुझाने वाले वहाँ स्वयं जाने लग पड़ते हैं । फूल जहाँ खुद खिल पड़ा, मँवरे आप ही आप उधर खिचकर चल देते है। उसी प्रकार जिस देश में धर्म या ईश्वर का नाम रोशन हो जाता है,

तो संसार के सुख-वैभव” और ऋद्धि-सिद्धियों आप हो सिची हुई उस देश में चली आती हैं। यही कुदरत का कानून है, प्रकृति का नियम है। उस भीष्म को ब्रह्मचर्य तोड़ने के लिए

ऋषि-मुनि और सौतेली माँ जिसके लिए उसने ब्रह्मचर्य को प्रतिज्ञा तो अर्थात् प्रण किया या, उपदेश करती है कि तुम ब्रह्मचर्य तोड़ दो; राजमंत्री, नगर-अन, ऋषि-मुनि सव आग्रह करते हैं कि तुम अपना व्रत तोड़ दो;

तुम्हारे विवाह करने से तुम्हारे कुल का बंश बना रहेगा, राज बना रहेगा इत्यादि-इत्यादि । किन्तु नवयुवा’ भीष्म यौवनावस्था’ में, जिस समय यिरला ही कोई ऐसा युवक होता है

जिसका चित्त बाह्य सौन्दर्य और चित्ताकर्षक राग-रंग के झूठे जाल में न फँसता हो, उस समय यौवनपूर्ण भीटम जयवा शूरवीर गोप्म यूं उत्तर देता है,

लेखक स्वामी रामतीर्थ-Swami Ramtirth
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 100
Pdf साइज़3.7 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

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