ब्रह्मचर्य ही जीवन है | Brahmacharya Is Life Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
“Chastity is Life andsensnality is Death” यानी “ब्रह्मचर्यही जीवन है और धीर्यनाश ही मृत्यु है” यह है । जब शरीर में से चैतन्य निकल जाता है तब उसके साथ ही साथ रक्त और वीर्य,
ये दो जीवन-प्रद तत्व भी मृत्यु के बाद शीघ्र ही गायव हो जाते हैं, और उनका पानी वन जाता है। जिस मनुष्य को हैजा होता है उसके रक्त का पानी बनने लग जाता है और वही पानी फिर के और दस्त के द्वारा बाहर निकलने लगता है।
कोई अंग काटने पर भी उसके शरीर से खून नहीं निकलता; पश्चात् वह बहुत जल्द मृत्यु को प्राप्त होता है। अतः यह सिद्ध है कि “जब तक मनुष्य के शरीर में रक्त व चीये ये दो चीजें मौजूद हैं,
तभी तक वह जीवित रह सकता है और इनका नाश होने से उसका भी तत्काल नाश हो जाता है। जिवना मनुष्य मोर्य का नाश करता है उतना ही वह रक-विहीन बन कर नृत्यु की ओर घराबर झुकता जाता है ।
जितना अधिक मनुष्य श्रीर्य को धारण करता है उतना ही अधिक वह सजीव बनता जाता है; उसमें शक्ति, तेज, निश्रय, सामर्थ्य, पुरुषार्थ, बुद्धि, सिद्धि और ईश्वरत्व मगढ होने लगते हैं और यहूदीर्घकाल पर्यन्त जीवनलाभ कर सकता है।
धीर्य द्दीन पुरुप को कोई भी तार नहीं सकता और वीर्यवान पुरुप का कोई भी (रोग) अफाल में मार नहीं सकता | दुर्बल को ही सब कोई सताते हैं। “देयो दुर्बळघातकः ” यही प्रकृति का नियम है ।
सच पूछिम तो “योग्य ही अमृत है।” इसी के रक्षा करने से अर्थात् धारण करने से मनुष्य अजर अमर होता है | भीष्म पितामह इसी संजीवनी शक्ति के कारण अमर (यानी अफाल में मृत्यु न पाने वाले ) और इतने सामर्थ्य संपन्न हुए थे ।
यदि हम भी इस की रक्षा करें अर्थात् वीर्य रोक कर ब्रह्मचर्य धारण करेंगे, तो हम भी वैसे ही प्रभावशाली और उन्नतिशाली बन सकते हैं। क्योंकि वीर्य रक्षा ही आत्मीद्वार का रहस्य है और इसी में जीवमात्र का जीवन है।
लेखक | स्वामी शिवानंद-Swami Shivanand |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 199 |
Pdf साइज़ | 5 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
ब्रह्मचर्य ही जीवन है | Brahmacharya Is Life Book/Pustak Pdf Free Download