बाबा साहेब आंबेडकर वाग्मय – Babasaheb Ambedkar Speech Collection Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
यह पुस्तक मेरी पुस्तक दि शूद्र-हू दे वर एंड हाऊ दे केम टु बी दि फोर्थ वर्ण ऑफ इंडो आर्यन सोसायटी, जिसका प्रकाशन 1946 में हुआ था अंतःपरिणाम है। शूद्रों के अतिरिक्त हिंदू सभ्यता ने तीन और वर्णों को जन्म दिया।
इसके अतिरिक्त किसी और वर्ग के अस्तित्व की ओर वांछित ध्यान नहीं दिया गया है। ये वर्ग है -जरायम पेशेवर कबीले, जिनकी जनसंख्या लगभग दो करोड़ है।
आदिम जातिया, जिनकी जनसंख्या लगभग डेढ़ करोड़ है।अछूत जिनकी संख्या लगभग पांच करोड़ है ।इन वर्गों का अस्तित्य एक कलंक है।
इन सागाजिक सृष्टियों के संदर्भ में यदि हिंदू समाज को मापा जाए तो इसे कोई सम्य समाज नहीं कह सकता।
मानवता का उत्पीड़न और दमन करने के लिए इसका यह एक पैशाचिक यूर्तता है नम उसका तो कलंक होना चाहिए।
उस सभ्यता को और क्या नाम दिया जाए जिसने ऐसे समाज को जन्म दिया हो, जिसे अपने भरण पोषण के लिए अपराध करने की मान्यता प्राप्त हो।
एक अन्य वर्ग को सभ्यता क पर आदिकाल से ही बर्बरतापूर्ण जीवन यातीत करने के लिए बाध्य किया हो और तीसरा यह जन समूह २ जिसके साथ अमानवीय यावहार किया जाता हो, जिसको भर में अपवित्रता का दोष लग जाए।
किसी अन्य देश में यदि एती. जामिया रहती हो लोग अपने मन को टटोलो और इन मूल का पता लगात परतु इस बारे में हिंदुओ के कान पर जूं तक नहीं २ ।
छाण रीधा-को ऐसे योगी के प्रति कोई खेद या लज्जा गरत ही और हो उे उनकी ददश का दायित्व अपने सिर पर लेटी रना इनका उदराम पर विकास के बारे में जानने का प्रयास करत है।
लेखक | डॉ.बाबा साहेब आंबेडकर-Dr. Babasheb Ambedkar |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 179 |
Pdf साइज़ | 21.4 MB |
Category | आत्मकथा(Biography) |
बाबा साहेब आंबेडकर – Babasaheb Ambedkar Speech Book/Pustak Pdf Free Download