अंताक्षरी | Antakshri All Stories Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
सूअर के पीछे बीस कोस तक घोड़े दौड़ाये, पर वो राजा के हाथ नहीं आना था, सो नहीं आया। राजा को बुरा तो बहुत लगा, पर जानवर राजा की आन-बान क्या जाने! मुकुट टेढ़ा हो गया।
होंठ पपडिया गये। प्यास और थकान से उसे चक्कर आने लगा। सूरज सर के ऊपर आग बरसा रहा था। अगर राजा पर भी ऐसी आफत आने लगी तो फिर उसमें और परजा में फर्क ही क्या रहा।
उसने दिक होकर हथियार डाल दिये तो सब रुक गये। दाँत पीसते बोला, सूअर को गोली मारो और जल्द से जल्द पानी का बन्दोबस्त करो, वरना यह प्यास मेरी जान ले लेगी।
फौरन पानी तुम सबको जान से हाथ धोना पड़ेगा।’ अपने सरों पर तलवार नाचती देख सब थर काँपने लगे। सहसा उन्हें अलगोजे की मीठी तान सुनायी दी। सामने घाटी से वह सुरीली आवाज आ रही थी।
राजा को जैसे अंगारा छू गया। उसकी प्यास और भड़क उठी। बोला, ‘मेरी जान पर बनी है और इसे मस्ती सूझ रही है! कौन है यह गुस्ताख ? सर कलम कर दो उसका सेनापति ने कहा,
‘शायद इसके पास पानी हो यह तो मौके पर खूब काम आया।’ सवारों ने अलगोजे की आवाज की दिशा में घोड़े मोड़े ही थे कि राजा ने कहा, ‘पानी लाने में ज्यादा वक्त लगेगा। मैं भी साथ चलता हूँ।”
घाटी के उस पार खेजड़ी की छाँच तले एक गड़रिया अलगोजा बजा रहा था। अपने में खोया हुआ इर्द-गिर्द पाँच-सात भेड़ें चर रही थीं। खेजड़ी की एक डाली से छागल लटक रही थी।
एक सवार ने आगे बढ़कर छागल उतारी वो उसी तरह अलगोजा बजाता रहा, पर जब उसने पानी पीने के लिए मुकुटधारी आदमी को झुके हुए देखा तो फौरन अलगोजा रखकर उधर छीन ली।
कहा, प्यास से मौत आती कि नहीं, पर इस तरह पानी पीया तो यह हरगिज नहीं बचेंगे।” राजा गुस्सा तो बहुत आया, पर चुप लगा गया।
गड़रिया उसे बाँह से पकड़कर छाया में ले गया। थोड़ी देर बाद पसीना सूखने पर उसके हाथ-मुँह बुलाये। मुँह पर पानी के छींटे मारे।
रुक-रुककर एक घूँट पानी पिलाया और फिर काल उसके हवाले कर एक ही साँस में आधी छागल खाली कर गया। अब कहीं उसके जी-में आया। राजा की आँखों में ज का समन्दर लहराने लगा।
लेखक | विजयदान देथा-Vijaydan Detha |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 11 |
Pdf साइज़ | 1 MB |
Category | कहानियाँ(Story) |
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