एक्यूप्रेशर प्राकृतिक उपचार – Acupressure Prakritik Chikitsa Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
चीन की लोरी के अनुसार शरीर में 14 मेरीडीयन हैं गा 14 नदियों का प्रवाह है, जिसे सामान्यतः शक्ति के प्रवाह कह सकते हैं। इस शक्ति के प्रवाहे को चीन में “ची” जापान में “की” और भारत में आवरशक्ति के नाम से लोग बनते है।
आद्यशक्ति को भारत में अन्य नाम भी दिए गए है। वैसे कि ओजस, तेजस, धारक, प्राण, वीर्य, चैतन्य और आत्मशक्ति इस शक्ति को कोई “बायो इलेक्ट्रो मेन्नेटिक करंट” भी कहते है।
इस शक्ति के नेगेटिव और पोवेटिव ऐसे दो मुगधर्म हैं इन दोनों गुणधर्मों का संतुलन (वेलेसिंग) करना जिसे होमीयोस्टेसिस याने कि शरीर की निरोगी स्थिति कह सकते है।
इस संतुलन के अभाव (इम्बेलेन्स) वाली शारीरिक स्थिति को रोगी कहेंगे। संतुलन के अभाव मे कोशों को पहुंचने वाले ज्ञानतंतुओं के अथवा ख्व के प्रवाह में विशेष पैदा होने से कोश बीमार पड़ जाते हैं।
एक्युप्रेशर असंतुलन को दूर करके रक्त प्रवाह को व्यवस्थित करता है। इस तरह कोशो की स्वास्थ्य वृद्धि होने से संबंधित अवयव कार्यरत होते हैं और रोग दूर हो जाते हैं।
इस तरह यह थेरेपी सूक्ष्म कोशों को प्रभावित करके अवयवों को रोग मुक्त करती है इसलिए यह अधिक प्रभावशाली है।
यह पद्धति जापान की है। बहुत पुरानी है। काफी मात्रा में इसका प्रसार हुआ है और सरकार मान्य है। शिआत्सु मै “शि” यानि उँगलियाँ और “आत्सु” यानि दबाद।
शरीर पर निर्धारित दाब बिन्दुओ पर दबाव देकर रोग मुक्त करने की पद्धति को शिआत्यु कहते हैं। इस पद्धति में दाब बिन्दु सारे शरीर पर फैले हुए हैं।
इस थेरेपी की थ्योरी यह है कि जब कोई अवयव बीमार हो तो उस अवयव के क्षेत्र में ही निश्चित दाब बिन्दुओ पर दबाव देने से रोग दूर किए जा सकते है हमारे चिकित्सा केद्र
लेखक | P.P.Sharma And B.R.Chaudhari |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 204 |
Pdf साइज़ | 4.1 MB |
Category | स्वास्थ्य(Health) |
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एक्यूप्रेशर प्राकृतिक चिकित्सा – Acupressure Treatment Book/Pustak Pdf Free Download