एक्यूप्रेशर प्राकृतिक चिकित्सा | Acupressure Point Book PDF

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एक्यूप्रेशर प्राकृतिक उपचार बिंदु- Acupressure Prakritik Chikitsa Book/Pustak Pdf Free Download

एक्यूप्रेशर पारिभाषिक जानकारी

एक्यूप्रेशर मूल रूप से दो शब्दों (एक्यू+प्रेशर) से मिलकर बना है जिसका अर्थ है कि एक्यू=तेज, प्रेशर=दबाव, अर्थात किसी निश्चित स्थान पर तेज या तेज दबाव देकर उपचार करने की विधि को एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति कहा जाता है।

कहा जाता है कि इस पद्धति का विकास सबसे पहले चीन में हुआ था, लेकिन इसे एक किंवदंती ही माना जाएगा क्योंकि भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों में यह भी एक प्रमुख पद्धति रही है जिसके कई प्रत्यक्ष प्रमाण मौजूद हैं।

इस पद्धति के समकक्ष कई अन्य पद्धतियां भी विकसित की गई हैं, लेकिन यह अपने आप में एक संपूर्ण पद्धति है जिसका किसी अन्य चिकित्सा पद्धति से कोई लेना-देना नहीं है।

मानव शरीर में चेतना रूपी विद्युत धारा निरंतर प्रवाहित रहती है। यदि इस प्रभाव में कभी कोई रूकावट या रूकावट आती है तो रोग उत्पन्न होता है। रोग होने पर रोगग्रस्त भाग को दबाने पर दर्द होता है। इसे पुनः सक्रिय करना ‘एक्यूप्रेशर’ है।

एक्यूप्रेशर एक ऐसी प्राकृतिक उपचार पद्धति है जिसमें बिना किसी उपकरण या मशीन के केवल दबाव बिंदुओं के माध्यम से प्रभावित या रोगग्रस्त अंग की जांच की जा सकती है और उस अंग को क्रियाशील और रोगमुक्त किया जा सकता है।

हमारे शरीर के चारों ओर का वातावरण हमारे शरीर की महत्वपूर्ण ऊर्जा को संतुलित रखता है और यह हमारे सक्रिय स्वभाव और व्यक्तित्व को आध्यात्मिक बनाता है।

स्तर की अभिव्यक्ति प्रदान करता है। सृष्टि का नियम भी दो विपरीत धाराओं के बीच संतुलित है, जिसके कारण पृथ्वी पर क्रमशः रात-दिन, सर्दी-गर्मी और जन्म-मृत्यु होती है। इसी प्रकार जीवन ऊर्जा के भी संतुलन के दो रूप होते हैं जिन्हें नकारात्मक और सकारात्मक शक्तियाँ कहा जाता है। शरीर में प्राण ऊर्जा जिन मार्गों से प्रवाहित होती है वे प्राण मार्ग हैं और उनका स्विच बोर्ड या नियंत्रण केंद्र मनुष्य की दोनों हथेलियाँ और तलवे हैं।

जिस प्रकार सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है उसी प्रकार एक्यूप्रेशर का इतिहास भी भारत की देन है। इसका मुख्य आधार गहरी मालिश है। प्रसिद्ध प्राचीन भारतीय चिकित्सक ‘चरक’ के अनुसार दबाव से मालिश करने से रक्त संचार बेहतर होता है और शरीर में ऊर्जा और ताकत आती है। जैसे-जैसे शारीरिक शक्ति का विकास होता है, शरीर में जमा अवांछनीय और विषैले पदार्थ मल, मूत्र और पसीने के रूप में शरीर से बाहर निकल जाते हैं, जिससे शरीर स्वस्थ हो जाता है।

चरक संहिता के सूत्र 85-87 में लिखा है कि किस प्रकार तेल की मालिश से शरीर मजबूत, सुंदर बनता है और त्वचा कोमल व मुलायम बनती है तथा शरीर में व्याप्त रोग नष्ट हो जाते हैं। शरीर में दर्द और थकान सहने की क्षमता विकसित होती है। अभ्यंग (तेल) त्वचा को नरम करता है, कफ और गैस को रोकता है, सात रसादि धातुओं को मजबूत करता है और त्वचा को शुद्ध करता है और इसे एक मजबूत रंग देता है। प्राचीन भारतीय सौंदर्य प्रसाधनों में रगड़कर तेल मालिश का महत्वपूर्ण वर्णन मिलता है। यह परंपरा आज भी विवाह और अन्य शुभ अवसरों पर जारी है। नवजात शिशु और उसकी मां की काफी देर तक उबटन लगाकर मालिश की गई।

चीन की लोरी के अनुसार शरीर में 14 मेरीडीयन हैं गा 14 नदियों का प्रवाह है, जिसे सामान्यतः शक्ति के प्रवाह कह सकते हैं। इस शक्ति के प्रवाहे को चीन में “ची” जापान में “की” और भारत में आवरशक्ति के नाम से लोग बनते है।

आद्यशक्ति को भारत में अन्य नाम भी दिए गए है। वैसे कि ओजस, तेजस, धारक, प्राण, वीर्य, चैतन्य और आत्मशक्ति इस शक्ति को कोई “बायो इलेक्ट्रो मेन्नेटिक करंट” भी कहते है।

इस शक्ति के नेगेटिव और पोवेटिव ऐसे दो मुगधर्म हैं इन दोनों गुणधर्मों का संतुलन (वेलेसिंग) करना जिसे होमीयोस्टेसिस याने कि शरीर की निरोगी स्थिति कह सकते है।

इस संतुलन के अभाव (इम्बेलेन्स) वाली शारीरिक स्थिति को रोगी कहेंगे। संतुलन के अभाव मे कोशों को पहुंचने वाले ज्ञानतंतुओं के अथवा ख्व के प्रवाह में विशेष पैदा होने से कोश बीमार पड़ जाते हैं।

एक्युप्रेशर असंतुलन को दूर करके रक्त प्रवाह को व्यवस्थित करता है। इस तरह कोशो की स्वास्थ्य वृद्धि होने से संबंधित अवयव कार्यरत होते हैं और रोग दूर हो जाते हैं।

इस तरह यह थेरेपी सूक्ष्म कोशों को प्रभावित करके अवयवों को रोग मुक्त करती है इसलिए यह अधिक प्रभावशाली है।

यह पद्धति जापान की है। बहुत पुरानी है। काफी मात्रा में इसका प्रसार हुआ है और सरकार मान्य है। शिआत्सु मै “शि” यानि उँगलियाँ और “आत्सु” यानि दबाद।

शरीर पर निर्धारित दाब बिन्दुओ पर दबाव देकर रोग मुक्त करने की पद्धति को शिआत्यु कहते हैं। इस पद्धति में दाब बिन्दु सारे शरीर पर फैले हुए हैं।

लेखक P.P.Sharma And B.R.Chaudhari
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 204
Pdf साइज़4.1 MB
Categoryस्वास्थ्य(Health)

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