सरल गुरु ग्रन्थ साहिब एवं सिख धर्म | Guru Granth Sahib Evm Sikh Dharm PDF Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
सुबह-शाम गुरु साहिब का पाल, कया और कौर्तन होता है। गुरुजी प्रकाश उत्सव शहीदी दिवस, परलोक दिवस मनाए जाते हैं तथा बेसहारों को सहारा दिवा जात है।सिखों के अनेक गुसुद्रों के साथ सिख धर्म का इतिहास जुड़ा हुआ है ऐसे को ऐतिहासिक गुरुद्वारे कहा जाता है।
इनका प्रबंधन कानूनी रूप से बनी समितियों चलाती है। जैसे- पंजाब के ऐतिहासिक गुरुद्वारों की प्रबंध व्यवस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एस.जी ) और दिल्ली के ऐतिहासिक गुरुद्वारों की प्रबंध व्यवस्था दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डी.जी.पी.सी.) करती है।
भारत तथा भारत से बाहर अन्य देशों में जहाँ-जहा सिख गुरु गर उनकी बाद में वहाँ भव्य गुरुद्वारे कायम है। इनमें सबसे प्रसिद्ध तथा प्रमुख है अमृतसर का हरिमंदिर साहिब, जो पूरे विश्व में स्वर्ण मंदिर (गोल्डन टैंपल) के नाम से जाना जाता है।
इसका निर्माण पाँचवें गुरु श्री गुरु अर्जनदेव ने करवाया। संवत् १५४० विक्रमी में गुरुजी ने हरिमंदिर साहिय की नीव एक मुसलमान चौर साई मियाँ पौर से रखवाकर सर्वधर्म समभाव की एक आदर्श और अनूठी मिसाल कायम की।
धर्मनिरपेक्षता की दूसरी मिसाल गुरु भाई परेड में कायम की हरिमंदिर साहिब की चारों दिशाओं में चार हार समार।
ये चार द्वार इस बात के प्रतीक ये कि हरि के इस मंदिर के चारों दरवाजे चारों वों (यानी क्षत्रिय बैश्य शह और ब्राह्मण के लोगों के लिए ले रहेंगे और धर्म, जाति भाया वर्ण आदि के नाम पर यहां किसी साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।
उन्नीसवी शताब्दी के प्रारंभ में महाराजा रणजीत सिंह ने हरिमदिर माहित को सोने से मड़वाया । तरभी से यह पवित्र स्थल ‘स्वर्ण मंदिर’ के नाम से लोकप्रिय हो गया।सिष्ट धर्म के कुछ |
लेखक | जगजीत सिंह-Jagjit Singh |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 296 |
Pdf साइज़ | 49.1 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
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