विनय पत्रिका हिंदी भावार्थ सहित | Vinay Patrika PDF In Hindi

विनय पत्रिका हिंदी भावार्थ सहित – Vinay Patrika Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश

जो गति अगम महामुनि दुर्लभ, कहत संसकल पुरान । सो गति मरनकाल अपने पुर, देत सदासिब सहि समान ॥३॥ सेवत सुलभ, उदार कलपतत, पारकती पति परम सुजान । बेहु काम रिपु राम-चरन रति, तुरसी दास कई कृपानिधान ॥४॥

पर दया करनेवाले, भक्ोंका का हरण करनेवाले, हर तरहसे समर्थ और ऐश्वर्द- पानशा नमुड़-मंधनके बाद जब हत्याहरूट चिकी चालते देवता और अनुर जलने लगे, तब आप अपनी दीन-दवाड़ताका

प्रण निभाने के लिए उस गिएको पान कर गये। संसारको दुःख देने वाले म दानव विधरावुरक्षो जाने एक ही बाणार असा था ।।२।। सन्त, बेद और सब पुराण कहते है कि जिस गतिको प्रालि

महामुनिरों के लिए अगम और दुलंदी गति याप अपने पुरमे अ्यात् कारशीमें मतक समग सदैव सबको सममायने दिया करते ॥ सेवा करने में आप मुलम पारी महली पात्रो आते है, पार्कलीफे एते दे परमशानी।

सबसे पहले हलाहल विष निकला। उसकी भसा ज्वालासे दों दिशाएँ व्याप्त हो गया। देवता और दैत्य ब्राहि-त्राहि करने लगे। और कोई उपाय न देखकर सयने भक्त्रकाल भगवान् शंकरकी शरण ली।

शिवजी प्रकट हुए और देवो-ैत्योंके कल्याणार्थं उसे पान कर गये । परन्तु शीघ्र ही उन्हें स्मरखा हुआ कि उनके हृदय में ईश्वर अपनी असिल सृष्टि के साथ विराजमान हैं ।

अतः उन्होंने उस विपको कण्डमें ही रोक लिया-नीचे नहीं उतरने दिया । इससे उनका कण्ठ नीला हो गया । तभीसे वह ‘नीलकण्ठ’ कहलाने लो 1 २त्रिपुरासुरके घोर अत्यचारसे तींनों लोकोंको पीड़ित देस्कर शितिवजीने

इसका भावार्थ आपने लिखा है ‘यद्यपि सुग्रीव और विभीषणने अपना कपट भाव नहीं छोड़ा, पर आपने उन्हें अपनी शरणमें ले ही लिया। और भरतजीकी तो सभामैं सदा प्रशंसा करते रहते हैं, प्रशंसा करते-करते तृप्ति ही नहीं होती।’

कैसा अर्थका अनर्थ हुआ है और प्रसंग कितनी दूर छूट गया है ! इस अर्थसे तो यह सूचित हो रहा है कि सुग्रीव और विभीषणका ‘कपट’ भाव प्रकट होनेके बाद रामजीने उन्हें अपनाया।

पर वास्तवमें बात इसकी उलटी है। आगे देखिये, ‘भरतजीकी तो समामें सदा प्रशंसा करते रहते हैं’, लिखकर टीकाकारने सीतापतिके शील और स्वभावमें भी बट्टा लगा दिया है; क्योंकि भरतजी तो इस योग्य थे ही, फिर यदि सीतापति उनकी सदा प्रशंसा करते रहते है।

लेखक गोस्वामी तुलसीदास – Goswami Tulsidas
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 475
Pdf साइज़29.3 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

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