सम्पूर्ण तुलसीदास रामायण सभी कांड | Tulsidas Ramayan PDF In Hindi

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सम्पूर्ण तुलसीदास रामायण – Ramayan With Eight Kand PDF Free Download

सम्पूर्ण तुलसीदास रामायण सभी कांड

विदित हो कि इस असार संसार में कराल कलिकाल के अवगुणों से ग्रसित जनों के लिये श्रीगोस्वामी तुलसीदासकृत रामायण ही परम आधार है

जिसकी पुस्तकें अनेक प्रकार से इस समय पर्यन्त तक अनेक बार इस यन्त्रालय में मुद्रित हुई हैं जिनको कि विद्यागुणग्राही व रामभक्त्यनुरागी जनों ने अत्यन्त आदर से ग्रहण कर अवलोकन किया अतएव मैंने अब की बार उन्हीं सज्जनों,

महज्जनों व विद्यारसामृतस्पर्शियों के विशेषानुराग से अवलोकन करने के लिये नवीन युक्ति से यह रामायण तैयार कराई है जिस के प्रत्येक काण्ड के आदि में एक चित्र उस काण्ड की संपूर्ण कथा का संक्षेप रूप से नियुक्त किया गया है

और उत्तरकाण्ड के पश्चात् लवकुशकाण्ड जिसमें रामाश्वमेधादि कथाओं का वर्णन है संयुक्त किया गया है और प्रत्येक पत्रों के नीचे कठिन शब्दों के नोट भी गये हैं

जिससे शब्दार्थों के समझने में किसी प्रकार का सन्देह नहीं रहता है और आदि में श्रीगोस्वामि तुलसी दासजी का जीवनचरित्र तथा संकटमोचन व रामबाराखड़ी और

बजरंगबाण व रामायण माहात्म्य तथा अन्त में सप्तदेवस्तुति, श्रीरामचन्द्रजी व श्रीजानकी जी के चतुर्दशवर्ष वनवास का तिथिपत्र आदि संयुक्त हैं ।

यह प्रति द्वितीय व अनुपम है ऐसी विचित्र रचनाओं से संयुक्त पुस्तक आज तक किसी यन्त्रा लय में न छपी होगी इस कारण इसकी अधिक प्रशंसा करना ही क्या है ?

केवल दर्शन ही से ज्ञात हो जायगा । आशा है कि रामरसरसिक पुरुष आदर से ग्रहण कर अवलोकन करेंगे और मुझ शुभाभिलाषी को आशीर्वाद देंगे किमधिकं बहुङ्गेष्विति शिवम् ||

  1. बालकाण्ड
  2. अयोध्याकाण्ड
  3. अरण्यकाण्ड
  4. किष्किन्धाकाण्ड
  5. सुन्दरकाण्ड
  6. लंकाकाण्ड
  7. उतरकाण्ड
  8. लवकुशकाण्ड

तुलसीदासजी का जीवनचरित्र

गोसाईं तुलसीदासजी सरवरिया ब्राह्मण थे व बांदाप्रदेशान्तर्गत राजापुर के रहनेवाले थे इनके गुरुका नाम नृसिंहदास था

इनका जन्म में मृतक शिवसिंहसरोजकार ने संवत् १५८३ का लिखा है और किसी २ का मत है कि संवत् १५८६ में इनका जन्म हुआ

व संवत् १६८० हुये गोसाई तुलसीदासजी को भक्तमाल के कर्चाने बाल्मीकिजी का अव तार लिखा है सो इसमें कुछ संदेह नहीं कि उनकी वाणी में ऐसाही प्रभाव दिखाई पड़ता है

कि हृदयमें चुभजाता है और रामचरित्ररूपी अ मृत की धारा को इस कलियुग में प्रवाहमान किया है व सबको सुलभ है।

और निम्नलिखित ग्रंथ गोसाईजी के बनाये हैं कि जो विख्यात हैं, रामायण ( रामचरित मानस ) २ विनयपत्रिका ३ रामायण गीतावली जानकील पानीमडल ४ रामायण कवितावली ५ दोहावली ६ रामशलाका ७ हनुमानबाहुक

भोर भये अपने कुमार को जनक वेग बुलवाये।

मुनि पिठ के संदेश लक्ष्मीनिधि सन सहित तहँ आये ॥

सादर किये प्रनाम चरन छुद्ट लाख बोले मिथिलेसू ।

नह तात तुरत जनवासे जहैँ श्रीअवधनरेसू ॥

विनय सुनाइ राय दशरथ सों पाय रजाय सचेतू ।

आनहु चारिउ राजकुमारहिं करन कलेऊ हेतू ॥

यह सुने सीस नाय लक्ष्मीनिधि भरि उर मोद उमंगा।

सखन समेत मंद हँसि गमने चाढ़ि चह़ि चपल तुरंगा ॥

कलनि देखावत हय थिरकावत करत अनेक तमासे।

शरद मुसकात बतात परस्पर पहुँचि गये जनवासे॥

सखन साहेत तहूँ उतरि ठुरँग ते मिथिलापति के बारे।

चारिह् सुतवुत अवधराज को सादर जाय जुहारे ॥

आते सुखनिधि लक्ष्मीनिधिको लखि सन सहित सतकारे।

रघुकुलदीप महीप हाथ गहि निज समीप बैठारे॥

तेहि छन सानुज निराश रामब्षबि सखन सहित सुख माने ।

लक्ष्मीनिषि मुखदरश पाइके रामहु नेन जुड़ाने॥

श्रीनिधि कर जोरि भूप सों कोमल बेन उचारे।

करन कलेऊ हेतु पठावहु चारिह् राजदुलारे॥

मुनि मृदु वचन प्रेमरस साने दशरथ मृदु मुसुकाने।

चारिह् कुँबर बोलाइ बेग ही बिदा किये सुख माने |

नगर को जानि तयारी सेवक सब सुख पागे।

निज निज प्रभुहिं सैंवारन लागे ले भूषन वर बागे॥

रघुनेदन सिर पाग जरकठी लसी त्रिमंगी बॉँधी।

तिमि नोरड़ी कुकी कलंगी दे रुचि पेचाने साधी॥

कनक कालित ञ्ञाति ललित मनिन की मंजुल मौर बिराजी |

लेखक गोस्वामी तुलसीदास – Goswami Tulsidas
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 693
Pdf साइज़91 MB
CategoryReligious

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