वैदिक गणित | Vedic Mathematics PDF In Hindi

वैदिक गणित के सूत्र – Vedic Mathamatics Formulas Book PDF Free Download

प्राचीन वैदिक गणित

वेद शब्द की व्युत्पति ‘विद्’ धातु मे हुई है, जिसका मर्थ होता है ‘ज्ञान’ (विद् ज्ञानेन्) । प्रतः शब्द ध्युस्पति के भाघार पर वेद’ का अर्थ होगा ‘ज्ञान सग्रह ‘ ! लेटिन भाषा की एक धातु है, ‘विडर’ ( vider ), जिससे प्रांग्ल भाषा का शब्द “विजन” (Vision) बना है । “विजन” का अर्य है “दर्शन” ।

प्राग्ल भाषा-भापी इसी शब्द को वेदों हेतु प्रयुक्त करते है 1 इन दोनों शब्दों के घ्राधार पर यदि हम वेदो की परिभापा करें, तो कहेगे कि ” वेद साक्षात्कार किए हुए जान का मंत्रह है ।” परिभाषा के दो शब्द ज्ञान व साक्षात्कार विशेष महत्व के हैं । पहला शब्द है ‘ज्ञान’ ! प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि ज्ञान क्या है ?

कैसे व कहा से प्राप्त होता है ? क्या मानव ही ज्ञान का सृजक है ? प्रश्नों का सामान्य उत्तर यही है फि ज्ञान मानवीय सृष्टि को भौतिक व प्राध्यादिमेंक जानकारी को कहते है । इसका निर्माता मानव नही व न ही पुस्तकें ज्ञान की प्राप्ति का मूल स्थान है । हां मानव पुस्तक लिखता है,

उसे पढ़कर हम ज्ञान प्राप्त करते है, लेकिन स्वयं पुस्तक के लेखक ने भी अपने पूर्ववर्ती प्राचार्यों से ज्ञान प्राप्त किया है ।

इस प्रकार यदि हम इस ज्ञान की परम्परा का मूल ढू ढने का प्रयास करे तो हमे उत्तरोत्तर प्रपने पूर्व वाल की प्रोर बढ़ना होगा।हूँ ढने का प्रयास करें तो हमे उत्तरोत्तर प्रपने पूर्व काल की शोर बढ़ना होगा।

अन्ततोगत्वा हम मानवी सृष्टि के प्रादि तक पहुँच जाते है प्रथात् आंदि मानव तक पहुँच जाते हैं। लेकिन क्या वह प्रादि मानव ही ज्ञान का सृष्टा था। नही ! य दि वह सृष्टा होता तो निश्चित रूप से परवर्ती मानव भी ज्ञान का सृष्टा होता।

तब प्रश्न यह उठता है कि जब प्रादि मानव भी ज्ञान का सृप्टा नही भ, तो उसे ज्ञान कहा से प्राप्त हुमा ?

वैदिक गणित सूत्र हमारे प्राचीन वेदों से प्राप्त गणितीय गणना की परम्परा का एक अंग है.

जब गणितीय गणन करने के लिए हमारे पास न तो कैल्कुलेटर थे और न ही कम्प्यूटर, तब गणनाओं को तेजी से करने के लिए हमारे ऋषियों द्वारा इन गणित सूत्रों का उपयोग किया जाता था.

यह गणित सूत्र हैं तो छोटे परन्तु इनकी व्याख्या काफी विश्वस्तरीय है और इनका उपयोग गणितीय गणनाओं में विभिन्न प्रकार से किया जाता है.

यह वैदिक सूत्र न केवल हमारी गणना करने की क्षमता को बढ़ाते हैं साथ ही साथ यह हमें गणित व बीजगणित की समस्याओं को हल करने का एक नया दृष्टिकोण भी देता है.

यहाँ हम जिन वैदिक सूत्रों का उपयोग कर रहे हैं. उन्हें दो श्रेणियों में बाँटा गया है : वैदिक सूत्र अंकगणितीय की गणनों में और वैदिक सूत्र बीजगणितीय गणनाओं में.

वैदिक सूत्र के फायदे

ये सूत्र सहज ही में समझ में आ जाते हैं। उनका अनुप्रयोग सरल है तथा सहज ही याद हो जाते हैं। सारी प्रक्रिया मौखिक हो जाती है।

कई पैडियों की प्रक्रियावाले जटिल गणितीय प्रश्नों को हल करने में प्रचलित विधियों की तुलना में वैदिक गणित विधियाँ काफी कम समय लेती हैं।

छोटी उम्र के बच्चे भी सूत्रों की सहायता से प्रश्नों को मौखिक हल कर उत्तर बता सकते हैं।

वैदिक गणित का संपूर्ण पाठ्यक्रम प्रचलित गणितीय पाठ्यक्रम की तुलना में काफी कम समय में पूर्ण किया जा सकता है।

वैदिक गणित के 16 सूत्र

  1. एकाधिकेन पूर्वेण – पहले से एक अधिक के द्वारा
  2. निखिलं नवतश्चरमं दशतः – सभी नौ में से तथा अन्तिम दस में से
  3. उध्वातिर्यक् भ्याम्- सीधे और तिरछे दोनो विधियों से
  4. परावञ्य योजयेत् – परिवर्तन एंव प्रयोग
  5. शून्यं साम्यसमुच्चयें – समुच्चय समान होने पर शून्य होता हैं।
  6. आनुररूप्ये शून्यमन्यत् – अनुरूपता होने पर दूसरा शून्य होता हैं
  7. संकलनव्यवकलनाभ्याम् – जोड़कर और घटाकर
  8. पूरणापूराणाभ्याम् – पूरा करने और विपरीत क्रिया द्वारा
  9. चलनकलनाभ्याम् – चलन-कलन की क्रियाओं द्वारा
  10. यावदूनम् – जितना कम हैं।
  11. व्यष्टिसमिष्ट – एक से पूर्ण और पूर्ण को एक मानते हुए।
  12. शेषाण्यड्केन चरमेण – अंतिम अंक के सभी शेषों को।
  13. सोपान्त्यद्वयमन्त्यम् –- अंतिम और उपान्तिम का दुगुना
  14. एकन्यूनेन पूर्वेण – पहले से एक कम के द्वारा ।
  15. गुणितसमुच्चयः – गुणितों का समुच्चय
  16. गुणकसमुच्चयः – गुणकों का समुच्चय

वैदिक गणित के उपसूत्र

  1. आनुरूप्येण – अनुपातों से।
  2. शिष्यते शेषसंज्ञ – एक विशिष्ट अनुपात में भाजक के बढ़ने पर भजनफल उसी अनुपात में कम होता हैं तथा शेषफल अपरिवर्तित रहता हैं।
  3. आद्यमाद्येन अन्त्यमन्त्येन – प्रथम को प्रथम के द्वारा तथा अन्तिम को अन्तिम के द्वारा।
  4. केवलैः सप्तकं गुण्यात् – 7 के लिए गुणक 143
  5. वेष्टनम् – आश्लेषण करके ।
  6. यावदूनम् तावदूनम् विचलन घटा करके।
  7. यावदूनम् तावदूनीकृत्य वर्ग च योजयेत् – संख्या की आधार से जितनी भी न्यूनता हो उतनी न्यूनता और करके उसी न्यूनता का वर्ग भी रखें।
  8. अन्त्ययोर्दशकेऽपि अन्तिम अंकों का योग 10 वाली संख्याओं के लिए।
  9. अन्त्ययोरेव – अन्तिम पद से ही ।
  10. समुच्चयगुणितः- गुणनफल की गुणन संख्याओं का योग।
  11. लोपनस्थापनाभयाम् – विलोपन तथा स्थापना से ।
  12. विलोकनम्- देखकर ।
  13. गुणितसमुच्चयः समुच्चयगुणितः – गुणनखण्ड़ो की गुणन संख्याओं के “योग का गुणनफल गुणनफल की गुणन संख्याओं के योग के समान होता हैं।
  14. ध्वजांक्- ध्वज लगाकर ।

Also Read: Vedic Mathematic PDF In English

लेखक डॉ.एम .एल .व्यास -Dr.M.L.Vyas
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 84
Pdf साइज़1.3 MB
CategoryMathematics

वैदिक गणित की और किताबे डाउनलोड करे

Alternative PDF Download Link 1

Alternative PDF Download Link 2

Related PDFs

Trigonometry Table 0 to 360 Degrees PDF

वैदिक गणित सीखे – Vaidik Ganit Shastra Book Pdf Free Download

2 thoughts on “वैदिक गणित | Vedic Mathematics PDF In Hindi”

  1. मैं दसवीं क्लास में हूं और मुझे अपना गणित अच्छे करने के लिए
    वैदिक गणित चाहिए

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!