इन्द्रजाल पुराने छापे का – Indrajal Dehati Pustak Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
गणेशायनमःश्री गुरु गणपति सरस्वती शिवगिरिजा गुण गाज । जिनके सुमिरण कियेते सिद्धि होत सब काज ॥
धन्यवाद प्रभु और प्रभु की प्रमुताई को जिनने इस संसार में ऐसे ऐसे पदार्थ उत्पन्न किये हैं जो किसी के ध्यान और गुमान में न आ सकें उनमें से अत्यन्त न्यून वस्तु जो तृणपात हैं
तिनके समान किसी की सामर्थ्य नहीं जो बना सके उसकी माया का भेद किसी ने नहीं पाया जिसने गाया उसने अपनी मति के अनुसार गाया वह परमेश्वर पूर्गा ब्रह्म अनादि और अनन्त है ज्योति स्वरूप सर्व व्यापक सबसे न्यारा है उस निर्गुण ब्रा के सगुण स्वरूप
श्री हृष्णकद्रमा जी के चना बिन्द में बारम्बार सिर नवाय कर अपने पिच के मनोर्थ को प्रकट करता हूँ कि इस संसार में जितने देह- धारी गृहस्थी बनवासी बुद्धिमान मतिहीन हैं
उनमें कोई ऐसा नहीं है जिसको अपने सुख-दुःख हानिसाम का ज्ञान न हो और अपने मनोर्थ सिद्धि करने की अनेक प्रकार का यहां और उपाय न करता हो
जो कि बहुधा मनुष्य अपने अधिकार के बहाने को मंत्रादिक के द्वारा उपाय कर मन- वांछित फल पाते हैं
इसलिये उनका वित्त इस प्रकार के बल और उपाय में लगता है जो कि यह विद्या सदा से लोगों को हितकारी अत्यन्त है हरिजन दासादास रामधन दूसर प्रसिद्ध
खुरा नवीस ने जो इस विद्या के संग्रह करने में चालीस वर्ष बराबर बड़ा परिश्चम करके अनेक मंत्रदिक श्री गुरुदयाल श्री रामदयाल जी व श्री मिश्ररजानन्द जी महाराज और चन्द्रलाल से बड़े की कृपा से सिद्धि
करके सदा राज दरवार में उच्चस्थान पाकर बेटियों पर गालिब रहकर मनवांछित फल पाता रहा अब चिरंजीव रामनरायण सम्पादक मथुरा प्रेस ने सब पत्रों को जहां तहां से करके छापने की प्रार्थना की इसलिये ये चार
लेखक | राम स्नेही-Ram Snehi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 670 |
Pdf साइज़ | 171.4 MB |
Category | Religious |
इन्द्रजाल – Indrajal Book Pdf Free Download
ઈન્દ્રજાલ પીડીએફ ગુજરાતી મા લખવા
વીનંતી