उपदेशामृत स्वामी गुणातीतानंदजी – Upadeshamrita Book Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
दुविधा की स्थिति में क्या करना चाहिए। इस प्रश्न का उत्तर है कि स्वामिनारायण.. स्वामिनारायण. स्मरण करना । जिससे दुविधा टल जाएगी। मनुष्य देह करोड़ों रूपये खर्च करें तो भी ऐसे साधु नह् मिलते,
करोड़ों रूपये खर्च करें तो भी ऐसी बातें नहीं मिलती और करोड़ों रूपये खर्च कर दें तो भी मनुष्य देह नहीं मिलती । हम भी करोड़ो जन्म ले चुके हैं पर कभी ऐसा सुयोग नहीं मिला है।
नहीं तो क्यों यह देह धारण करनी पड़ती ?एक लकड़हारा था। वह लकड़ियों का भार उठाकर बेचा करता था ! एक दिन मगोपाल की झाड़ी से लकड़ियों के साथ बायने चंदन की लकड़ी आ गई ।
वह तो इसे पहचानता भी नहीं था । वह तो चूल्हे में डालकर जला देने लगा तो इसकी सुगंध एक सेठ को आई । फिर उस सेठ ने पूछा कि इस गांव में बावने चंदन की लकड़ी जलाए,
ऐसा धनवान कौन है ? तब सभीने कहा कि इस गाँव में तो एक लकड़हारा रहता है । फिर उस सेठ ने वहाँ जाकर जलती- जलती कुछ लकड़ी बची थी, इसे लेकर और फिर घिसकर विष्णु भगवान को वंदन लगाया ।
उस सेठ ने जब अपना तीन दे – दूल, कारन भावना पंदन-पावन पटन (संस्कृत) एक प्रकार का सूचित बदन शरीर छोड़ा तब वह विष्णुलोक में गया । यह तो दृष्टांत है ।
जीवात्मा चाहे कितने भी रूपये खर्च कर दें, आंख, कान आदि इन्द्रियों मिल नहीं सकती। ये तो भगवान की ही देन है, पर जीव तो केवल कृतघ्नी ही है ।जीव बहुत बलवान है ।
लेखक | गुणातीतानंदजी-Gunatitanand |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 72 |
Pdf साइज़ | 10.5 MB |
Category | प्रेरक(Inspirational) |
उपदेशामृत – Upadeshamrita Book Pdf Free Download