छत्र प्रकाश ग्रंथ लाल कवि – The Chhutru Prakash Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
एक चक्र रच पै चदि धावै।सकल गगन मंडल फिर आरदे ॥ १४ ॥माहि हजार असुर नित मारे । धरम करम दिन प्रनि बिस्तारै ।कमल की न मुमक्या निहारे ।सहि देत कर सहस पसारे ॥ १५ ॥ करनि वर्ष जल जगत जिवावे ।
चार कई संचार न पावै । का बांधि निजु गति बे राखो । ए क जोब जय जात न भाववी ॥१ ॥ । दोहा ।।भाई जात न जासु जम ऐसे उदित दिनेस।ताके भयो महा बली मनु उद्दछ नरस। १७ ॥ द ॥मनु अनेक मानस उपाय ।
यति मानव मनुज करहा थे ।बरना ताको बंस कहसि। जगत विदित मरलोक अहल ॥ १८ ॥तिग में बरिति कराची इवि कारये ।चारि जगन होने के आये। तिमी चौरमा भूप जामी।इप धरमपुर धरण पथाने ॥४॥ बीरभ नृप के सुत हरे।
भये घा बल विकम पूरे। रि पुष पटरानी आये। सहरी रानी पंचम पाये ॥ १त ॥चारि पुत्र के नाम न जाने।पंचरम मुप को बंध बखान ।बीरभइ मुप सुअम वगारं ।पुतमि पानि पुरोक मिशा ॥ २६ ॥। दोहा ॥
बीरबल सुरलोक को गये सुआय जग माडि । पुश्मी पंचमसिंध को बाल विकास शाधि ॥ २० ॥पंचम लाल बिकम जन्मी ।सोभ च बंधुन उर धान्य।पंचम की पुरमी उन लोगो । टि चार कीमा करि जीपी॥२८॥धुन दिये युग दमि भार। হच तजि पंचमवि सिधारे।
लेखक | लाल कविश्वर-Lal Kavishwar |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 288 |
Pdf साइज़ | 13.8 MB |
Category | आत्मकथा(Biography) |
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