तंत्र विज्ञानं और साधना – Tantra Vigyan Aur Sadhana Book/Pustak PDF Free Download
कोई भी सिद तान्िक न सोकको शिष्म बनन म समको समन प्रक्रिया सिखासे और न सिखाने के लिये किसीको स्वयं बुलाते। जो साधक शिष्य स्वयं उनके पास जाता है, उसे वे प्रथम दृष्टिें ही परख लेते हैं कि यह योग्य शिष्य हो सकता है
अथवा नहीं अर्थात् उसमें प्रत्यकष रूपसे साथनाकी सचि और लगन भी है या नहीं। इसके पश्चात् है वे उसे अपने आमने तबतक रखते हैं, जबतक उन्हें पूर्ण विश्वास नहीं हो जाता कि यह साधना कर भी सकता है या नहीं।
इस अवधि वे यह भी देखते हैं कि इस व्यक्तिने पहले कभी तन्कके विषयमें जानाजन किया है या नहीं, यह बहुत बातूनी, प्रमत्त और असंयत तो नहीं है बिना किसी प्रकारका ननुनच किए जो कहा जाय उसे चुपचाप
निष्ठापूर्वक करता रह सकेगा या नहीं तथा ऐसा मेधावी हो कि जो बताया जाय उसे तत्काल समझ सकेगा और ब्रह्मचर्यपूर्वक नियमित आचरण करेगा या नहीं इतना विश्वास होनेपर भी तभी तान्त्रिक क्रिया सिखाई जाती है जब उसे भली प्रकार पर्याप्त समयतक ठोक बनाकर देख लिया जाता है
कि वह साधक बननेके योग्य हो गया है या नहीं। तन्त्र साधना के निर्देश भी कोई ऐसी प्रक्रिया नहीं है जो उठाकर हाथपर रख दी जा सके पहले साधकको जपमन्त्र दिया जाता है,
और उसके साथ- साथ उसे यम, नियम, आसन, प्राणायाम, सिद्ध कराकर प्रत्याहारका परीक्षण कराया जाता है
कि इसके मनमें किसी लौकिक पदार्थ या व्यक्तिके प्रति मोह तो नहीं रह गया है। जप और साधनाको अवस्थामें साधकको अलौकिक, असाधारण, भयावने, लोमहर्षक और उच्चाटन करनेवाले अनेक अनुभव होते रहते हैं,
जिनका परिहार उनका गुरु निरन्तर करता रहता है। जय वह साधक पूर्ण रूपसे प्रत्याहारमें सिद्ध हो जाता है और उसकी जप क्रिया भी परिपक्व हो जाती है, तब गुरु उस |
लेखक | आचार्य सीताराम चतुर्वेदी-Acharya Sitaram Chaturvedi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 317 |
Pdf साइज़ | 52.2 MB |
Category | ज्योतिष(Astrology) |
तंत्र विज्ञान और साधना – Tantra Vigyan Aur Sadhana Book/Pustak Pdf Free Download