रमण महर्षि | Raman Maharshi Book PDF In Hindi

रमण महर्षि एवं आत्म ज्ञान का मार्ग – Raman Maharshi PDF Free Download

जीव सोग सामान का समारोह दी हपुर हैं । यार रिन विय ने नटरावल, वर्षात् विश्व की सृष्टि और प्रसव के साृत्य के रूप में, अपने भक्तो को दर्शन दिवे ये पाद १८७९ को इसी दिन मौलि के समय दक्षिण भारत में समिल प्रदेश स्थित विश्यूजही करने मे शिष क भक्तपण घूसभरी सरको पर मन्दिर के तालाब की बोर न पाय पाश पडे थे।

हो पाए त में लान करने की परम्परा चली जाती है ।

सूर्य का अपण प्रकाश उस विशाल वकार तालाब की पत्थर की सीडियो से स्वान करने के लिए नीचे उतर रहे केवल घोती धारण किये हुए पुर्यो बोर महिलाओो की गहरी सात तथा सुनहरी साखियो पर पड रहा था

उसी-उप्डी हुमा बल रही यो क्योंकि इस वार त्यौहार दिसम्बर के महीने में पड़ा था। परन्तु इस प्रदेश के लोग बढे सहिष्णु हैं। कृछ सोगो ने वृक्षों के नीचे या तासाव के कट परो मे कपडे बदले ।

परन्तु अधिकांश लोग यह सोचकर कि उनके कपये छूप मे इन नावेंगे, गीले वस्त्र धारण किये हुए ही उस कस्बे के प्राचीन मन्दिर की ओर चल पढ़े ।

अमित प्रदेश के वेसठ शैब कवि-दाशनिको में से एक सुन्दरमूर्ति स्वामी हुए हैं, जिन्होंने प्राचीनकाल में इस मन्दिर को अपने मस्ति गौती से गुजारा था।

मन्दिर में शिव को प्रतिमा फूलो को नदी थी। सोगो मे ढोल और मत बजाटे हुए पदित्र गौतो की सुबुर के साथ दिनमर मू्ति का जुलूस निकाला था। रात के एक बजे जुलूस समाप्त हुआ।

शिव को प्रतिमा नंदर में प्रविष्ट हुई और इसी समय सुन्दरम ऐयर तथा उनको पली कलगम्माल है चर में बालक ैकटरमण का जन्म हुआ।

इसी बालक मे जिव को श्रीरमण के रूप में प्रकट होगा पा श्विमी ईस्टर की तरह हिन्दु स्यौहार की दद्रया को फसानो के अनुसार बदलो रहते हैं।

लेखक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण- Dr. Sarvepalli Radhakrishna
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 230
Pdf साइज़7 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

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