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शूद्र कौन और कैसे – Shudra Kaun PDF Free Download
शूद्र कौन थे पुस्तक
निस्पृष्ट निभीक सगणशील सत्य प्रेमी इतिहास का महान करयो पक्षक, विस्मरण का मधु विगत का साथी और भविष्य का मार्गदर्शक होता है। उसे स्पष्ट मस्तिया उपलब साध्या-साव्य मले ही नकली और जाली हो-मा परीक्षण करने को तत्पर रहना होता है
अब्राह्मण विद्यान के लिये अस्थमा पुकार कार्य है यह अन्वेषण में यह सत्य की खोज के लिये ण राजनीति अथवा प्राचीन साहित्य के आधार-हीण प्रक्षेपो को समाहित कर सकता है। किन्तु अपने इस अन्वेषण में मैने अपने को पूर्णत निष्पक्ष रखा है।
शूद्रो मी विषय में खोज करते समय मेरे मस्तिष्क में पूर्ण ऐतिहासिकता रही है। यह सर्वविदित है कि इस देश में माध्यमो का-सूदों का-एक आन्दोलन पल रहा है और उससे मेरा निकट का त्वचा है।
फिर भी पाठक यह देखेगे कि मैने इस कूति को अाह्यणी राजनीति का प्रश्न या प्राक्कथन नहीं बनाया।मैं इस शोय-पुस्तक की कमियों से अनजान नही है। इसमे प्रापीन ग्रथो के अनेक लम्बे-लम्बे अश उदभूत किये गये है।
यह कलात्मक कृति भी नही है। अत्तु संभावना है कि पाठक पवते-पवरों चकता जाये फिर भी इसमे सारा दोष मेरा अना नही है। मेरी अपनी बात होती तो मैं क्येष्ण से काट-ट कप सकता था। कि यह पुस्तक तो उन अबोध शुमी को लिये लिखी गयी है
जिन्हे यह मालूम नही कि उनकी यह स्थिति को है। उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं कि आनी बात की स्पष्ट करने के लिये क्या कला अपनायी जाती है. ये तो विस्तृत ट प्र्ण चाहते है। मैने जिन लोगों को पाण्तुलिपि दिई है,
उन्होंने उवारण प्रस्तुत करने का आग्रह किया है। साध्या-सामग्री के प्रति उनकी जिशास इतनी प्रबल दी कि मैं उनके आप की नहीं टाल पाया। पुस्तक का कलेबर बढने तथा समय-सामारी के सहज सुलभ न होने के कारण में
मेरी अपनी बात होती तो मैं स्वेच्छा से काट-छॉट कर सकता था। किन्तु यह पुस्तक तो उन अबोध झूद्रों के लिये लिखी गयी है जिन्हे यह मालूम नहीं कि उनकी यह स्थिति क्यो है।
उन्हे इससे कोई सरोकार नहीं कि अपनी बात को स्पष्ट करने के लिये क्या कला अपनायी जाती है, वे तो विस्तृत ओर पुष्ट प्रमाण चाहते हैं |
मैने जिन लोगो को पाण्डुलिपि दिखाई है, उन्होने उद्धरण प्रस्तुत करने का आग्रह किया है। साक्ष्य-सामग्री के प्रति उनकी जिज्ञासा इतनी प्रबल थी कि में उनके आग्रह को नहीं टाल पाया |
पुस्तक का कलेवर बढ़ने तथा साक्ष्य-सामग्री के सहज सुलभ न होने के कारण मै उद्धरण-प्रकारणो का अग्रेजी अनुवाद ही प्रस्तुत कर पाया हूँ संस्कृत मूल प्रस्तुत नहीं कर सका ।
यदि यह स्मरण रखा जाय कि शूद्रों को चातुर्वण्यीय व्यवस्था के परिणामस्वरूप अपरिमित क्षति उठानी पडी है तथा यही व्यवस्था उनके पततन–पराभव का मूल कारण यही है और शूद्र – केवल शूद्र ही उसका उच्छेद करने मे सक्षम हैं तब यह सरलता से समझा जा सकता है कि शूद्रों को उनकी स्थिति से अवगत कराने एवं प्रचलित प्रमाण-दृष्टान्तो को मिटाने या उनमे आवश्यक काट-छॉट करने के लिये सनन््नद्ध करने की मुझे आवश्यकता क्यो पड़ी।
सर्वप्रथम तो मैं महाभारत के चालीसवे अध्याय के “शान्ति पर्व” के रचनाकार का आभारी हूँ|
यद्यपि यह कहना कठिन है कि वह कौन था- व्यास वेशम्पायन, सूत, लोमहर्ष अथवा भृगु | इनमे से कोई भी क्यों न हो, उसने पैजवन का पूर्ण वृतान्त देकर अनुग्रह ही किया है |
यदि वह पैजवन को शुद्ध न कहता तो शूद्रों के उद्भव का मूल स्रोत ही विलुप्त हो जाता ।
भावी पीढी के लिये इतनी महत्वपूर्ण सूचना-सामग्री को सुरक्षित रखे जाने वाले रचनाकार का यह अपर उपकार है। इस प्रमाण-साक्ष्य वृतान्त के अभाव में इस शोध-ग्न्थ की रचना ही असमभव थी |
इस्माइल युसूफ कालेज, अंधेरी, बम्बई के प्रो० कागले का आभारी हूँ जिन्होंने इस पुस्तक मे वर्णित-चर्चित संस्कृत श्लोको के अंग्रेजी रूपान्तर की जाँच कर मुझे सहाय दिया है।
यह तो सभी जानते है कि मैं सस्कृत का ज्ञाता नहीं हूँ।
तदपि मैं आश्वस्त हूँ कि साक्ष्य-सामग्री की विवेचना में मैने अर्थ का अनर्थ नहीं किया है और यह प्रो० कायले के सहयोग का परिणाम है|
तथापि इसका अर्थ यह कदापि न लिया जाय कि अग्नरेजी रूपान्तर के सम्बन्ध मे इगित की जाने कली त्रुटियो का दायित्व प्रो० कांगले का है |
Also Read: Who Were The Shudras PDF In English
लेखक | बी।आर।आंबेडकर-B.R Ambedkar |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 161 |
Pdf साइज़ | 6 MB |
Category | History |
शूद्र कौन – Who Were The Shudra Hindi Pdf Free Download
Nibhera
True history in India