रामकृष्ण परमहंस के सदुपदेश | Ramkrishna Paramhans Book PDF

श्री रामकृष्ण परमहंस – Tales And Parables of Shri Ramkrishna Paramhans Pdf Free Download

रामकृष्ण परमहंस के उपदेश

चलाया, किन्तु जब सन्या-समय खेतमें माकर देखा, तो उसमें एक बूंद भी जल नहीं पहुंचा था। खेतके पास कुछ गड्ढे प, उनमें सब जत्त चला गया। इसी प्रकार जो मनुष्य विषय:

वासनाओं चौर सांसारिक मान-सम्भूममें पड़कर साधना करते हैं, उनकी सब साधना व्यर्थ जावी है। जन्मभर सिरोपासन करने के उपरान्त अन्त में जब वे देखते हैं,

तब उन्हें विदित होता है कि, उनकी सारी उपासना वासनारूपी गड्डोंमें बह गई है।१२-जैसे वालक दीवार पकड़ कर दूर तक चला जाता है, किन्तु उसका मन सदैव दीवार की ओर ही रहता है।

कोंकि वह जानता है कि, मैं दीवार छोड़ते ही गिर पड़ गा । संसार भी इसी प्रकार का है । तुम भगवान् को ओर लच्छ रख कर सब काम करो, तुन्हें कुछ भय न रहेगा।

अर्थात् निरापद रहने के लिए ईश्वर न छोड़ना चाहिए ।जलमें नौका रहने से हानि नहीं, किन्तु नौका के भौतर जन्त न जाना चाहिए, क्योंकि उसके भीतर जल भरने से वह डूब जाती है ।

इसी प्रकार साधकों को संसार में रहने से भय नहीं, किन्तु उनके मनमें सांसारिक भावोंका प्रवेश न होना चाहिए, अन्यथा महाविपद है।संसार आंवले के समान है।

आँवला देखने में सुन्दर होने पर भी यन्तःमारशून्य होता है। इसी प्रकार संसार मभी चाहरसे देखने में बहुत सुन्दर और सुखदाई प्रतीत होता है, किन्तु बास्तवर्में बहु अँबले के समान सार शून्य है।

संचार रेशम के को करेके समान है। जीव उसका खड़ा है। जौव-चाहे तो उसे काट भी सकता है और उसके भीतर भी रह सकता है । कुरेका मुंह कटा रहनेसे कोड़ा खेच्छा से जब चाहे बाहर निकल सकता है ।

लेखक शिवसहाय चतुर्वेदी-Shivsahay Chaturvedi
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 70
Pdf साइज़2.1 MB
Categoryप्रेरक(Inspirational)

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