अद्वैत वेदांत – Ramkrishna And Vivekanand Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
इसी प्रकार, स्वामी विवेबानन्य बी द्वार प्रसुतुत मुलिषीविवदक परिकल्पना चार-सम्बन्धी परिकल्पना भी शकराचार्य आहेत अशान्त से अत्यधिक प्रभावित रही है।
शकराचार्य द्वारा प्रस्तुत अहत दर्शन के सिद्धान्त के आभार पर है स्वामी विवेकानन्द ने आध्यत्मिक क्षेत्र में सार्वभौमिक विचार प्रस्तुत कर विस्- ब्रह्माण्ड में ‘बहुत्व में एकत्र की स्थापना’ का प्रयास किया है।
जैसा कि श्री रामकृष्ण देव ने तद्पोषित किया था कि द्वैश बिशिष्ाई्टत और अौत एक ही सत्य की प्राप्ति के तीन सोपान है, स्वामी विवेकानन्द भी बैसा ही समन्वय स्थापित करने का प्रयास करते है ।
वियेकनन्दवी इसे और भी महान तथा अधिक सरल सिद्धाना कि- ‘अनेक और एक विभिन्न समयों पर, विभिन वृतियों में मन के द्वारा देखा जाने वाला एक ही तत्य है- के रूप में देखते है।
श्री रामकृष्ण ने इसी सत्य को इस प्रभार सात किमाना कि इर साकार और निराकार दोनो ही है। पर यह भी है जिसमे साकार और नियकार दोनों समावि भी है।
सही पर रामकथा और विकानन्द पूर्व और पक्षिम के ही नही वरन् भूत और भविषा भी अगम विन्दु बन जाते है।
श्री रामकृष्ण देव ने जिला परम एक और अद्वितीय सत्य का अनुभव किया उसे ही विवेकानन्द में व्यक्ति समाज और राष्ट्र के सदर्भ में व्याख्यायित किया।
स्वामी विवेकानन्द अद्वैत वेदाना की शासीय परम्परा से न तो अपरिचित रहे न ही उसकी उपेक्षा का, तथापि वसाने शास्त्रीचा टीकाटियाणी और स्मार स्थापन या परपद खान की शाार्थ रोसा को तत्फाक्षीन समाज मे लिए अधिक उपयोगी न समझका
द्वैत वेदान्त की नूल भावता को दैनन्दिन जीवन में उतारने का सार्थक प्रयास किया इस दृष्टि हैं जिन्होंने अट्त वेदाना की समयानुकूल पारख
लेखक | मृदुला रवि प्रकाश-Mrudula Ravi Prakash |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 283 |
Pdf साइज़ | 10.4 MB |
Category | प्रेरक(Inspirational) |
रामकृष्ण एवं विवेकानंद – Ramkrishna Evm Vivekanand Pdf Free Download