श्री दादू दयाल जी की वाणी – Dadu Dayal Ji Ki Vani Pdf Free Download

दादूदयाल के शब्द
पादू ममो नमो निरंजन, नमस्कार गुरु वतः, चेचरन सर्व,लाधाबा, प्रणामं पारंबी को साधू राखै रामधन, गुरु नायक बचन विचार गहिला दादू क्यूं रहे, मर्कट हाप गवार,
जिन खोवै दादू रामधन, हृदै राखि जिन जाय रतन जतन करि राखिये, चिंतामनि चितलाय है दादू ममही माडे समझि करि, मनहीं माहि समाय मनही माहि देखिये,
बाहिर कहन लडाये ? बाबू समझि समाइ रहु, बाहिर कहि न जणाय दादू अद्भुत खिया, तहा तांको आवे जाय कहि कहि का दिखलाइये, सांई सब जाणे दादू प्रगट का कहै,
कुछ समझि सयाने ६ दाबू मनही मीहे ऊपजै, मनही मांहि समाप मनही माहँ गखिये, बाहिर कहिन जनाय लै बिचार लागा रहै, दादू जरता जाय कबहूं पेट न आफरै,
भावि तेता खाय सोई सेवक सव करै, जेती उपजै आय कहि न जनबै और कुं, दादू मांहि समाय ९ सोई सेवक सबसे, जेता रस पीया बाद गूझ गंभीरका, प्रकास न कीया सोई सबक सबजरे,
अलंख लखावा दादू राखै रामधन, जता कुछ पावा जररसु अबिचल राम है, जरैसु अमर अलेख जसु अविगति आप है, जरैसु जगमे एक,जरसु अविगति आप है,
जरैसु अपरंपार जरैसु अगम अगाध है, जमु, सिरजनहार बाडू जैरी सु निज निरकार है, जरैसु निज निरधार जसु निज निर्गुणमई, जरैसु निज तत सार जरैसु पूर्णब्रह्म है,
जरैलु पूर्णहार जरेसु पूर्ण परम गुरु, जरैनु प्राण हमार दादू जसु जोति सरूपहै, जरैसु तेज अनंत जरैसु झिलिमिलि नूर है, जरैसु पुंज रहंत २८ दादू जरैतु परम प्रकास है,
जरेला परम उजाला जरैसु परम उदीत है, जैरैसु परम विलास २९ जरैसु परम पगार है, जरैसु परम विगास जरैसु परम प्रभास है, जरै परम निवास ३० दादू भूले प्राण औगुण मन आणै नहीं,
लेखक | दादूराम सत्यराम-Daduram Satyaram |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 423 |
Pdf साइज़ | 16.7 MB |
Category | Literature |
श्री दादूदयाल जी की वाणी – Shri Dadu Dayal Ji Ki Vani Pdf Free Download