दादू दयाल का जीवन चरित्र – Dadu Dayal Ka Jivani Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
पँति पूछे नहिं कोई । को लेने से| हरि का दोष। जनआँख जोन कर देखा जाये तो विशेष कर पिछले संत श्रीर साप जैसे कबीर साहिब राम जी इत्यादि |
बौर मक्त जैसे वासमीट (डोमडा, श्री कृष्णायसार के समय में) और हुसरे याहमीफ ( यदेखिया संस्कृत रामायण के प्रन्थ करता) और सदना (कलाई) और जोगेश्वर हानी जैसे मारद और व्यास
आदि ने मीची ही जाति में जन्म लिया जिनकी कीचि का भाटा आज तक संसार में फडरा रहा है और सदा फहराता रहेगा। दाइ पंथी दादू दयाल के प्रगट होने का इस तरह चतलते हैं
एक टापू में कुछ योगी भगवत भजन करते थे. उन में से एक योगी को बाकाश. वाणी द्वारा श्राशा हुई कि तुम भारतवर्ष में जाकर जीयों का चितावो। इस आशा के चह थेगिराज दिचरते हुए
जय अहमदाबाद में पहुँचे तो वहाँ लोदीराम नागर ब्राह्मण से मेंट हुई जिस के बेटे जी यड़ी अभिलापा रथी; उसने योगी से वर माँगा कि हम को ड़ का हो योगी ने कहा बड़े तड़के साबरमती नदी के तट पर जाव वहाँ तुम्हारी इच्छा पूरण होगी ।
जव लोदी राम जी दूसरे दिन सबेरे वहाँ पहुँचे तो एक बच्चा नथी में बहता हुआ मिला जिसे लोदीराम निकाल कर घर वा और पाला
(यह पथा करलाहिय उत्पत्ति पथा से पूरी माँति से मिलती है जिन्हें फाशी के लहरतारा नामक तलाय में बदते हुप नीर जुलाहे ने पाया था और अपना येटा बनाया) पंधियों को निश्चय है
उन्ही योगी जी ने यान वल से अपनी काया यदत फर बच्चे का रूप धारण कर लिया और दादू दयाल बने, इसके प्रमाण मे यहद साक्षी दादू जी को पतलाते हैं
लेखक | दादूराम सत्यराम-Daduram Satyaram |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 168 |
Pdf साइज़ | 6.8 MB |
Category | आत्मकथा(Biography) |
दादू दयाल का जीवन चरित्र – Dadu Dayal Ka Jivan Charitra Pdf Free Download