शब्द ब्रह्म नाद ब्रह्म – Shabd Brahm Naad Brahm Book PDF Free Download
स्वर से ‘अक्षर’ की अनुभूति
पुराणों में एक आख्यायिका आती है। देवर्षि नारद ने एक बार लंबे समय तक यह जानने के लिए प्रव्रज्या की कि सृष्टि में आध्यात्मिक विकास की गति किस तरह चल रही है ?
वे जहाँ भी गए, प्रायः प्रत्येक स्थान में लोगों ने एक ही शिकायत की- भगवन् ! परमात्मा की प्राप्ति अति कठिन है। कोई सरल उपाय बताइये, जिससे उसे प्राप्त करने,
उसकी अनुभूति में अधिक कष्ट साध्य तितीक्षा का सामना न करना पड़ता हो। नारद ने इस प्रश्न का उत्तर स्वयं भगवान् से पूछकर देने का आश्वासन दिया और स्वर्ग के लिए चल पड़े।
आपको ढूँढने में तप साधना की प्रणालियाँ बहुत कष्टसाध्य हैं, भगवन् ! नारद ने वहाँ पहुँचकर विष्णु भगवान् से प्रश्न किया ऐसा कोई सरल उपाय बताइए, जिससे भक्तगण सहज ही में आपकी अनुभूति कर लिया करें ?
नाहं वसामि वैकुण्ठे योगिनां हृदये न वा ।
मद्भक्ताः यत्र गायन्ति तत्र तिष्ठामि नारद ।।
-नारद संहिता
हे नारद ! न तो मैं वैकुंठ में रहता हूँ और न योगियों के हृदय में, मैं तो वहीं निवास करता हूँ, जहाँ मेरे भक्त-जन कीर्तन करते हैं, अर्थात् संगीतमय भजनों के द्वारा ईश्वर को सरलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकता है।
इन पंक्तियों को पढ़ने से संगीत की महत्ता और भारतीय इतिहास का वह समय याद आ जाता है, जब यहाँ गाँव-गाँव प्रेरक मनोरंजन के रूप में संगीत का प्रयोग बहुलता से होता था।
संगीत में केवल गाना या बजाना ही सम्मिलित नहीं था, नृत्य भी इसी कला का अंग था। कथा, कीर्तन, लोक-गायन और विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक पर्व-त्यौहार एवं उत्सवों पर अन्य कार्यक्रमों के साथ
लेखक | श्री राम शर्मा-Shri Ram Sharma |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 116 |
Pdf साइज़ | 23.2 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
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