संत सुधा सार – Sant Sudha Saar Book Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
श्रम वियोगी हरिबी के इस संग्रह के बारे में मुझे कुछ कहना चाहिए। पहली बात तो मैं यह कहूँगा कि हिन्दी के बहुत सारे सतो की वाणी का अध्ययन मैं नहीं कर सका है।
सिर्फ चार कृतियाँ मेरे नसीब में आई है जिनको कुछ बारीकी से देखने का मौका मुझे मिला है । रामायण और विनयपत्रिका, थे तुलसीदास की दो कृतियाँ । इन टोनी कृतियों का मुझपर बहुत गहरा असर पब है।
सुलसीदास फर शैली में बोलना हो तो यही कहना पडेगा कि एक है “” और दूसरा है “म” और दोनों मिलकर तुलसीदास स्र “राम” बनता है । दोनों कृतियों परस्पर पूरक है ।
इनके अलावा, गुरु नानक फा उपुजी और गुरु न की सुखमनी। इस उग्रा में बनी का, अर्थ के साथ, युग उदरण किया गया है । बद मुझे अच्छा लगा।
मे जय दोन-छत्र महने शरखाभियो के काम में लगा था तब रोव सुबह जपुजी का पाठ किया करता था। कुछ दिन नागरी लिपि में किया, फिर गुरुमुखी में पड़ता रहा यह एक परिपूर्ण कृति है। याने साथ मार्ग का पूरा चित्र, आ्रादि से अ्रवतक इममें थोडे में मिल जाता है।
इसकी तुलना जानदेव के मराठी दरिया हो सकती है। जिसको पर्समाल का परिचय है, ऐसा हरेक देहाती हरिपाठ को पड़ दौ लेता है । बल्कि दो अक्षर भी नहीं सीखा यह भी दूसरों से सीखकर उसे कठ परता है।
गुरु धन की सुखमनी यद्यपि एक छोटी सी शुल्तक है, दयप हुरूप नहीं दद विवरहरूम है। उसमे पुनर्वश्लि काफी है। लेकिन उसकी शक्ति मी उस पुनर्व्ति में है।
उसका यह एक सलोक जेल में कई दिनोतफ भोबन के पहले मे था, जैसा कि सिक्खी में रियाज है :काम क्ोय अरु लोभ मोह विनसि जाय अहमेव, नानक प्रनु शरणगती कर प्रसाद गुरुदेव ।
लेखक | वियोगी हरि-Viyogi Hari |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 400 |
Pdf साइज़ | 12.6 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
संत सुधा सार – Sant Sudha Saar Book Pdf Free Download