श्री साम्ब पुराण की भूमिका – Samb Purana Book PDF Free Download

साम्ब पुराणं
साम्ब पुराण अठारह उपपुराणों में प्रायश: प्राचीनतम है।
इसमें भगवान् सूर्य को आराधना की आगमशास्त्रीय विधि साङ्गोपाङ्ग वर्णित है कृष्ण एवं जाम्बवती के पुत्र साम्ब इस पुराण के नेता हैं, जिन्होंने साक्षान् भगवान् सूर्य, नारद एवं वसिष्ठ से ज्ञान, भक्ति एवं क्रिया का उपदेश प्राप्त किया है ।
पौराणिक साहित्य में अनेक स्थलों पर अठारह महापुराणों के साथ साथ उपपुराणों को भी विभिन्न सूची मिलती है
जैसे स्कन्दपुराण के रेवाखण्ड, प्रभासखण्ड, सूतसंहिता, शिव-माहात्म्यखण्ड, सौरसंहिता, पद्मपुराण के पाताल खण्ड, देवीभागवत के प्रथम-स्कन्ध, कुर्मपुराण के पूर्वार्द्ध के प्रथम अध्याय, बृहद्धर्मपुराण, औशनसोपपुराण के विन्व्यमाहात्म्य, एकाम्रपुराण, पराशरोपपुराण, वारुण-पुराण, मुद्रल-पुराण आदि में यह सूची मिलती है।
इसके अतिरिक्त गोपालदास कृत भक्ति-रत्नाकर एवं मित्रनिश्र के बीरमित्रोदयं में ब्रह्मपुराणोक्त सूची जन्नत है।
मधुसूदन सरस्वती कृत प्रस्थानभेद” में भी एक सूची दी गयी है। अठारह उपपुराणों की इन सभी सूचियों में साम्ब-पुराण का उल्लेख हुआ है।
हेमाद्रि १२६०-७० ई०) ने भी चतुर्वर्ग-चिन्तामणि के व्रत-खण्ड में प्रथम मध्याय में यह सूची इस प्रकार दो है-
नाग प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित ‘आद्युपुराण’ के सम्पादक डा. व्रजेश कुमार शुक्ल ने उपर्युक्त सभी स्थलों से प्राप्त सूची का संकलन किया है जिसमें साम्बपुराण का उल्लेख हुआ है।
केवल वायुपुराण के रेवा माहात्म्य से संकलित श्लोक में साम्ब-पुराण का नामोल्लेख तो नहीं हुआ है किन्तु सूर्य से सम्बद्ध दो संहिताओं को ब्रह्म-पुराण का खिलभाग माना गया है, जिनमें एक सौर संहिता है तथा दूसरी संहिता के रूप में साम्ब-पुराण को माना जा सकता है।
नाग प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित सौर-पुराण के अवलोकन से पता चलता है यह शिव-माहात्म्य से सम्बद्ध पुराण है किन्तु इसके वक्ता सूर्य हैं।
अत: इसे सौर-पुराण कहा गया है; इसमें सूर्योपासना का कोई प्रसंग नहीं है।
लेखक | भवनाथ झा-Bhavnath Jha |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 12 |
Pdf साइज़ | 3.6 MB |
Category | Religious |
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