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साईं बाबा व्रत कथा – Sai Baba Vrat Katha PDF Free Download
साईं बाबा व्रत कथा
अमीर शक्कर
शिरडी की इस पवित्र धरती पर सांई बाबा के दर्शनों के लिए आने वाले लोगों में अमीर गरीब सब एक साथ चले आते हैं, उन्हें खींच कर लाने वाली एक मात्र शक्ति है सांई बाबा ।
जो प्रभु का अवतार माने जाते हैं, उन की शक्ति परीक्षा के लिए जब अमीर शक्कर वहां पर आए। गठिया रोग से पीडित शक्कर खां जब अपने इस भयंकर रोग का इलाज बड़े-बड़े डाक्टरों, हकीमों, वैद्यों से करवा कर थक गए
निराशा के सागर में डूबे अपने भाग्य को पीट रहे थे उनके मुख से बार बार यही निकल रहा था-या ख़ुदा अब तो मुझे उठा ले । मैं इस दुनिया में जी कर क्या करूँगा?
“मेरा शरीर ही नाकारा हो गया है।” मैं न तो चल सकता हूं न उठ सकता हूं न बैठ सकता हूं यहीं नहीं मैं तो इतना मजबूर हो गया हूं मेरे ख़ुदा कि मैं तुम्हारी उपासना करने से भी मजबूर हो गया हूँ।
यह सब कुछ कहते हुए अमीर शक्कर बच्चों की तरह रोने लगता था एक दिन अमीर शक्कर के दोस्त उसके घर आए तो उन्होंने अमीर शक्कर को रोते देखा तो वह झट से बोले
“अरे भाई, • इतना निराश क्यों होते हो चलो शिरड़ी सांई बाबा की शरण में वहां जाते ही तुम्हारा रोग ठीक हो जाएगा। अमीर शक्कर ने आश्चर्य से अपने मित्र की ओर देखा जैसे उन्हें विश्वास न हो रहा हो
क्योंकि उन्होंने तो बड़े से बड़े डाक्टरों से भी इसका इलाज करवा कर देख लिया था, भला सांई बाबा कौन से डॉक्टर हैं। अमीर शक्कर का दोस्त समझ गया था कि उसे विश्वास नही हो रहा, इस लिए उसने दोबारा से उसे कहा।
भैया अमीर सदेह और शंका को मन से निकाल दो और मेरी बातों को याद रखो जो भी सच्चे मन से श्रद्धा और भक्ति की भावना से बाबा की शरण में चला जाता है वह कभी निराश नहीं आता, बाबा के दरबार में हर चीज मिलती है।
अमीर शक्कर ने सोचा यदि वह मौत को गले लगाने की लिए तैयार है तो बाबा की शरण में जाने में क्या हरज है। बस यही सब सोच कर अमीर शक्कर बाबा की शरण में चलने के लिए तैयार हो गया।
शिरड़ी भले ही एक छोटा सा गाँव था मगर बाबा के पास आने वाले हजारों भक्तों की लम्बी लाईन वहां पर लगी रहती थी। सब लोग सांई बाबा के भजन गाते हुए झूमते नाचते उनके दरबार तक जा पहुंचते थे।
बाबा मस्जिद के अंदर ऊंचे चबूतरे पर बैठें बड़े धैर्य से अपने भक्तों को दर्शन दे रहे थे । हर दुःखी का दुःख भी सुनते थे कोई उनके दरबार से खाली नहीं लौटता था।
अमीर शक्कर रोता हुआ बाबा के चरणों मे जा गिरा और रो-रो कर कहने लगा, मुझे बचा लो बाबा मैं बहुत दुखी हूं। प्रभु पर भरोसा रखो अमीर, रोने से दुःख दूर नहीं होते, जाओ हमारी बावडी जा कर रहने लगो ।
हम तुम्हारा दुःख दूर कर देंगे। बाबा ने बड़े प्यार से अमीर की पीठ पर हाथ फेरा, अमीर को बाबा का हाथ अपने शरीर पर फिरते देख कर ऐसा प्रतीत हुआ जैसे उसके शरीर की जलन समाप्त हो रही हो उसका कष्ट कम हो रहा हो ।
उसी दिन से अमीर बाबा के आश्रम में रहने लगा। बाबा हर रोज सब रोगियों की पीठ पर हाथ फेरते और उन्हें यही कहते चिंता न करो, तुम बहुत जल्द ठीक हो जाओगे ।
अमीर शक्कर भी उन रोगियों के साथ रहने लगा मगर उसे बार बार यह महसूस हो रहा था कि वह इतना धनी होते हुए कहां इन सब के बीच में फंस गया है।
परन्तु नौ मास तक ऐसे ही सोचता रहा। बाबा की कृपा से पहले से काफी ठीक हो गया। मगर उसके मन में चार चार यही शंका उभर रही थी कि वह इन सब घटिया लोगों में आकर फंस गया है
एक रात अमीर शक्कर के मन में यह विचार आया कि वह क्यों ना चोरी से इस आश्रम से भाग जाए। बस फिर क्या था मौका मिलते ही रात को वह वहां से भाग खड़ा हुआ और साथ के कीपर गांव की धर्मशाला में जाकर ठहरा।
वहां पर उसने एक ऐसे फकीर को तड़पते देखा जो जमीन पर लेटा चिल्ला रहा था, पानी-पानी अमीर ने भागकर उसके मुंह में पानी डाला मगर जैसे ही उसके मुंह में पानी डाला तो
उस फकीर ने उसकी गोद में ही दम तोड़ दिया उसे अपनी गोद में मरते देख कर अमीर घबरा गया उसे पता था इस फकीर के खून का इल्जाम उसी के सिर पर लगेगा ।
पुलिस उसे पकड लेगी- फांसी से कम सजा नहीं होगी। फांसी फांसी। इस कल्पना से ही अमीर का शरीर कांप उठा। दूसरे ही क्षण उसे अपनी भूल का अहसास हुआ,
सांई बाबा के आश्रम से चोरी से भाग कर उसने जो अपराध किया था उसी अपराध की सजा उसे मिल रही। है। फांसी. फांसी । नहीं नहीं बाबा मुझे क्षमा कर दो,
मैंने भूल की है, इस भूल की सजा मौत तो न दें इसमें मेरा दोष ही क्या है, मैंने तो अपनी ओर से भला करने की कोशिश की थी। अमीर धरती पर गिर कर सांई बाबा से क्षमा मांगने लगा तो दूर आकाश से उसे आवाज सुनाई दी,
अमीर तूने जो पाप किया था उसी की सजा तुम्हें मिल…………………
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लेखक | नरेन्द्र पाठक-Narendra Pathak |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 58 |
Pdf साइज़ | 6.4 MB |
Category | Vrat Katha |
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