हज सफर की मुश्किलें और हल – Hajj Tour Guide PDF Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
“हल जज़ाउल इहसानि इल्लल इहसान” (सूरह रहमान, आयतः ६०) तर्जुमाः नेकी का बदला नेकी के सिवा कुछ नहीं है।तीस से चालीस लाख लोग हज के अय्याम और रमज़ान-उल-मुबारक में मक्का शहर पहुँचते है।
मक्का शहर की आबादी से कई गुना ज्यादा है। शहर के लोग और हुकूमत हर तरह से हाजियों की खिदमत करते हैं । इस लिए हाजियों को चाहिये कि उन के रिज्क में बर्कत और खुशहाली की दुआ करें।
(मक्का में दाखिल होते वक्त और बस में इस दुआ को आप पढ़ते भी है) और अगर आप से उन को फायदा पहुंचता है तो उसे खुशी से होने दें। तंग दिल न हों, वहाँ के होटल, दुकानें, बस,
टैक्सी वगैरह की बड़ी आमदनी का ज़रिया हज और रमजान-उल-मुबारक ये दो मवाके ही हैं इस लिए अगर इन दो मौकों पर आप को ऐसा महसूस हो कि वह ज्यादा कमा रहे हैं तो इस का उन को हक है।
और आप को इन की मदद करनी चाहिये और ज्यादा रूपया बगैर तंग दिल हुए देना चाहिये।हज़रत बरिद (रज़ि) से रिवायत है के हुजुर (स.) ने इर्शाद फर्माया के हज में खर्च करना जिहाद में खर्च करने की तरह है।
एक हदीस में हज़रत आईशा (रज़ि) से मरवी है के हुजुर (स.) ने फर्माया के तेरे उमरे का सवाब तेरे खर्च के बाद है यानी जितना ज्यादा इस पर खर्च किया जाएगा उतना ही सवाब होगा।
हज के मौके पर तीस से चालीस लाख लोग एक ही वक्त में एक तरफ सफ़र करते हैं इतने ज्यादा लोगों के लिए एक ही वक्त सदारीयों का इतेजाम करना मुम्किन ही नहीं इस लिए मुअल्लिम का इंतेज़ाम
लेखक | कमरुद्दीन खान-Kamrudin Khan |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 89 |
Pdf साइज़ | 38 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
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