रैदास जी की बानी जीवन चरित्र- Ravidas Ji Ki Bani Book/Pustak Pdf Free Download

रैदास जीवन चरित्र सहित
रैदास जी जाति के चमार एक भारी भक्त हो गये हैं जिनका नाम हिन्दु स्तान बरन और देशों में भी प्रसिद्ध है । यह कधीर साहिब के समय में वर्तमान थे और इस हिसाब से इनका जमाना ईसवी सन् की चौदहवीं सदी ( शतक) ठहरता है ।
यह महात्मा भी कवीर साहिब की तरह काशी में पैदा हुए । कहते हैं कि कबीर साहिब के साथ इनका परमार्थी संवाद कई बार हुआ जिसमें इन्होंने वेद शास्त्र आदि का मडन और कबीर साहिब ने खंडन किया है।
जो हो, पर इस प्रथ के देखने से तो यही मालूम होता है कि रैदास जी को द शास्त्रों में कुछ भी श्रद्धा न थी ।किया है कि पहले जन्म में रैदास जी बाम्हन थे। स्वामी रामानन्दजी उपदेश लिया था और उनकी सेवा में लगे रहते थे।
एक दिन अपने गुरु के भोजन के लिये एक वनिया से सामग्री ले आये जिसफा ब्यौहार चमारों के साथ भी था । इस हाल के जानने पर रामानन्द जी ने क्रोध से सराप दिया कि तुम चमार का जनम पावोगे ।
इस पर रैदास जी चोला छोड़ कर एक रग्घू नाम चमार के घर घुरविनिया चमाइन से पैदा हुए परन्तु पूरबले जोग के बल से उनको पिछले जनम की सुध न विसरी और अपनी मा की छाती में मुँह न लगाया
जब तक कि भगवन्त की आज्ञा से रामानन्द जी ने चमार के घर आप जाकर रैदास जी को मा का दूध पीने की समझौती नहीं दी। स्वामी रामानन्द जो ने लड़के का नाम रविदास रक्खा, पीछे से लोग उन्हें रैदास रैदास कहने लगे ।
जब रैदास जी सयाने हुए तो भक्त और साधुवों की सेवा में सदा रहने लगे। साधु सेवा में ऐसा मन लग गया कि जो कुछ हाथ धावा उन के खिलाने पिलाने और सत्कार में खर्च कर डालते ।
लेखक | रैदास जी-Ravidas Ji |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 54 |
Pdf साइज़ | 1.9 MB |
Category | आत्मकथा(Biography) |
रैदास जी की बानी – Sant Ravidas Ji Ki Bani Book/Pustak Pdf Free Download
Sant siromany Guru Ravidas was deducted spiritual committed to uplift the so-called untouchable chamar cast if today we breathing in an indiscriminate environment and enjoying a status in the society is due to the sacrifices of Sant Guru Ravidas Ji and Baba Sahab Dr Bhim Rao Ambedkar the genext will remember those great human being