सेवा सदन प्रेमचंद कृत उपन्यास | Seva Sadan PDF In Hindi

सेवासदन – Sevasadan Novel PDF Free Download

पश्चात्ताप के कड़वे फल कभी-न-कभी सभी को चखने पड़ते है, |लेकिन और लोग बुराइयों पर पछताते है, दारोगा कृष्णचन्द्र अपनी भलाइयों पर पछता रहे थे।

उन्हें थानेदारी करते हुए पचीस वर्ष हो गए; लेकिन उन्होंने अपनी नीयत को कभी बिगड़ने न दिया था। यौवनकाल में भी, जब चित्त भोग-विलास के लिए व्याकुल रहता है उन्होंने नि.सहभाव से अपना कर्तव्य पालन किया था।

लेकिन इतने दिनों के बाद आज वह अपनी सरलता और विवेक पर हाथ मल रहे थे । उनकी पत्नी गंगाजली सती-साध्वी स्त्री थी । उसने सदैव अपने पति को कुमार्ग से बचाया था।

पर इस समय वह भी चिन्ता में डूबी हुई थी । उसे स्वयं सन्देह हो रहा था कि वह जीवन भर की सच्चरित्रता बिलकुल व्यर्थ तो नही हो गई ?

यह सब नये नये गहने बनवाती है, नये-नये कपड़े लेती है और यहाँ रोटियोके लाले हैं । क्या संसारमें में ही सबसे अभागिनी हूँ ? उसने अपने घर यहो सोखा था कि मनुष्यको जीवनमें सुख भोग करना चाहिए।

उसने कभी वह पर्मचर्चा न सुनी थी, वह धर्म-णिक्षा न पाई थी, जो मनमें सन्तोषका बीजारोपण करती है। उसका हृदय असन्तोषसे व्याकुल रहने लगा।गजाधर इन दिनो बड़ी मेहनत करता ।

कारखानेसे लौटते ही एक दूसरी दूकानपर हिसाब-किताब लिखने चला जाता था बहसि ८ यजे रातको लौटता । इस कामके लिए उसे ५ ) और मिलते थे ।

पर उसे अपनी माथिक दशामें कोई अन्तर न दिखाई देता था। उसकी सारी कमाई खाने पीने में उड़ जाती थी । उसका सञ्चयशील हृदय इस ‘खा पी बराबर दशामें बहुत दुःखी रहता था ।

उसपर सुमन उसके सामने अपने फूटे कर्मका रोना रो-रोकर उसे और भी हताश कर देती थी।

उसे स्पष्ट दिखाई देता था कि सुभनका हृदय मेरी ओरसे शिथिल होता जाता है। उसे यह न मालूम था कि सुमन मेरी प्रेम-रसपूर्ण वातोसे मिठाईके दोनोंको अधिक आनन्दप्रद समझती हं ।

अतएव वह अपने प्रेम और परिश्रमसे फल न पाकर, उसे अपने शासनाधिकारसे प्राप्त करने की चेष्टा करने लगा ।

इस प्रकार रस्सीमें दोनों ओरसे तनाव होने लगा ।हमारा चरित्र कितना ही दृढ हो, पर उसपर सगतिका असर अवश्य होता है।

गुमन अपने पड़ोसियोको जितनी शिक्षा देती थी उससे अधिक उनसे ग्रहण करती थी। हम अपने गार्हस्थ्य जीवनकी ओरसे कितने वे सूध है ।

उसके लिए किसी तैयारी किसी शिक्षाकी जरूरत नही समकते । गाड़ियां खेलने वाली बालिका, सहतियोकि साथ विहार करने वाली युवती, गृहिणी बननेने योग्य संभोग जाती है । अल्हड बछड़े के कन्येपर भारी जुना रख दिया जाता है ।

लेखक प्रेमचंद-Premchand
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 300
Pdf साइज़11.5 MB
Categoryउपन्यास(Novel)

सेवासदन – Seva Sadan Book/Pustak Pdf Free Download

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