पशु चिकित्सा राधो प्रसाद वर्मा – Pashu Chikitsa PDF Free Download
रोग-निर्णय
सब से पहले हम आप लोगो का ध्यान इस बात की ओर आकर्पित कराना चाहते है कि पशु-चिकित्सा के लिये रोग निर्णय कैसे हो सकता है ।
इस विषय को हम यहाँ विस्तार पूर्वक लिखना अनिवार्य नही समझते तोभी कुछ लिख देना पशु-रक्षा के लिये आवश्यक है । यो तो हमने जहां तक सम्भव हो सका है
सरल और समझने योग्य शैली से प्रत्येक बीमारियो के पृथक २ चिह्न लिखही चुके है, जिससे पशु-पालक सहज ही में प्रत्येक रोगों की पहचान आसानी से कर सकते है। फिर भी कुछ ऐसे चिह्नो का यहाँ उल्लेख कर देना आवश्यक समझता हूँ। वे यो है
रोगों की पहचान
- दूध न देना या कम देना ।
- पागुर अथवा जुगाली न करना।
- पतला वा गाढ़ा गोबर करना अथवा गोबर नहीं – करना ।
- बार बार उठना, बैठना तथा हॅूकार भरना ।
- उदासीन दिखलाई पड़ना ।
- दूसरे पशुओं से अलग रहने की इच्छा प्रकट करना ।
- चारे-दाने का त्याग करना ।
- आंख से पानी तथा नाकों से पानी आना
- रोओं को खड़ा करना इत्यादि ।
प्रधानतः उपरोक्त चिन्हों से रोगो का होना निश्चय समझता चाहिये । तत्पश्चात यह मालूम कर लेना चाहिये कि पशु रोगी है। या रोगी होनेवाला है।
जब यह मालूम हो जाय कि पशु को अमुक बीमारी है तो फौरन उसे दूसरे पशुओ से अलग कर देना चाहिए जिससे दूसरे पशुओं को वह रोग असर न कर सके |
बाद, किसी चतुर चिकित्सक से अथवा इस पुस्तक द्वारा उचित चिकि त्सा का प्रबन्ध करना चाहिए। ऐसा करने से आप पशुओं को आपत्ति से बचा सकेंगे ।
पशुओं की चिकित्सा की अपेक्षा हम लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित होना चाहिये कि वे बीमार ही न पड़ने पावें ।
यदि निम्नांकित बातों पर पूर्णतः ध्यान रखा जावे तो बहुत कम ऐसा अवसर प्राप्त होगा कि पशु बीमार पड़े और उनकी चि कित्सा आवश्यक हो जाय ।
यदि हम लोग पशुओं को माफ, सुथरे, सूखे और शुद्ध हवादार स्थानों मे रखें, विशुद्ध जलवायु तथा खाद्य पदार्थ का व्य चहार करावे तो रोग कभी छू नहीं सकता।
सदा धूप, शीत और वृष्टि से बचा रखना भी नोरोग रहने के लिये अति आवश्यक है। सड़ा, बदबूदार पानी अथवा पदार्थ यदिन सेवन कराये जावे तो पशुओ पर रोग का आक्रमण नही हो सकता ।
लेखक | Raghu Prasad Varma |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 146 |
PDF साइज़ | 4.3 MB |
Category | Health |
पशु चिकित्सा – Pashu Chikitsa PDF Free Download