गरीब लड़की कहानिया | Garib Ladki Hindi PDF

गरीब लड़की – Garib Ladki Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश

चाहें गर्मिया हों या सर्दियां, वसंत हो या पतझड़ आलिया हमेशा फटे कपड़े ही पहनती थी. उसका कोई घर नहीं था. उसके कोई माता-पिता नहीं थे.

आलिया ने घूड़े के कचरे से रोटी का टुकड़ा निकालकर खाया, लोगों की सीढ़ियों पर आश्रय पाया और सड़क पर पड़ी पुरानी कारों में सोई.

वो शहर से बाहर भटकते हुए, माचिस बेचती थी और अपना पेट भरने की कोशिश करती थी. “ज़रा उस लड़की को देखो,” किसी ने कहा. “वो फूल या माचिस क्यों नहीं बेंच रही है?”

लेकिन अब माचिस की किसी को जरूरत नहीं थी? सर्दी थी. क्रिसमस आने वाला था. सुसज्जित सड़कों पर फूल मालाएं लटकी थीं जिससे खरीदने वाले आकर्षित हॉ. संगीत की धुन लगातार हवा में बज रही थी.

सैंटा क्लॉज की वेशभूषा पहने लोग घंटी बजा रहे थे. गर्म, फर और ऊनी कपड़े पहने भीड़ में लोग शोर मचा रहे थे और गरीब आलिया को बिल्कुल नजरअंदाज कर रहे थे.

अब देर हो चुकी थी और सड़कें खाली थीं. निराश और थके पैरों वाली आलिया एक पेस्ट्री शॉप के सामने रुकी. उसने अपनी छोटी नाक को कांच के शीशे पर दबाया ताकि प्रदर्शन पर रखे केक का स्वाद ले सके.

लेकिन बहुत लम्बे समय के लिए नहीं…बेकर महाशय फ़ौरन दौड़े हुए बाहर आए : “तेरी यह मज़ाल कमीनी, तूने मेरी कांच की खिड़की गंदी कर दी.

चल, यहाँ से दफा हो जा। जल्दी भाग, नहीं तो मैं तुझे अपनी बेलन से चपटा कर दूंगा.” घबराकर, बेचारी छोटी बच्ची तेज़ी से वहां से भागी.

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 19
PDF साइज़1.6 MB
CategoryComics

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