परमपिता से प्रार्थना करनेका तरीका – How To Do Pray PDF Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
हम जैसे होने चाहिये, वैसे नहीं हैं, यह बात ठीक है, हम स्वीकार करते हैं: परन्तु हम कैसे ही हों, हैं तो आपके ही। हम किसी दूसरेके तो हो नहीं सकते अब ऐसी कृपा करो कि आपकी निर्भरा भक्ति मिल जाय।
हम आपपर हो निर्भर हो जायें। आपके ही चरणोके शरण हो जायें। आपके तो कोई घाटा पड़ेगा नहीं, पर हमारा बड़ा भारी काम हो जायगा। यह हम अपनी शक्तिसे नहीं कर सकते।
आप देखते है कि हम पात्र नहीं हैं तो पात्र भी आपकी शक्तिसे ही बनेंगे। आपकी शक्तिसे ही मनुष्य योग्य बनता है। आपकी जो अपार, अनन्त शक्ति है, उसीसे सब काम होता है । नहीं तो फिर आप जानो,
आपका काम जाने। हमने तो अपनी बात कह दी, अब जैसा आपकी मरजी, वैसा करो। जिसमें आपकी प्रसन्नता हो कहा करो। हमारा कोई आग्रह नहीं है। हम तो समझते नहीं महाराज! हमारी शक्ति में वात् नहीं आती।
हमारे अधिकारकी बात नहीं दीखती। आपको देखते ही वे वैसे कण कीजिये । आपकी कृपाके अधिकारी होते हैं । जो योग्य हैं, वे कृपाकी चाहना क्यों करेंगे? वे अपना काम खुद कर लेंगे। परन्तु हमारेसे ऐसा नहीं होगा।
आप ही कृपा करके अपनी निर्भरा भक्ति दीजिये। निर्भरा भक्ति पाकर हम कृतार्थ हो जायेंगे। आपके चरणों की निर्भरा भक्ति मिल जाय तो फिर ‘कामादि दोष से रहित कीजिए -ऐसा कहनेको जरूरत हो नहीं।
हमारे मनमें तो आती है कि आपको कुछ नहीं कहें। आप सब जानते हो । आपसे अपरिचित कुछ नहीं है। हम आपकी जानकारी में हैक आप जानते हो कि हम कैसे हैं। हम जैसे भी हैं, आपके ही है।
लेखक | रामसुख दास-Ramsukh Das |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 8 |
Pdf साइज़ | 5 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
परमपिता से प्रार्थना – Parampita Se Prarthna Book/Pustak Pdf Free Download