मौर्य साम्राज्य का इतिहास | History of Maurya Empire PDF In Hindi

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मौर्य साम्राज्य का इतिहास – Maurya Empire History PDF Free Download

मौर्य साम्राज्य का इतिहास

>’स्ट्रेबो प्लूटार्क, जस्टिन आदि यूनानी यात्री

>फयान, दनसांग इत्सिम आदि चीनी यात्री

>रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख

>अशोक के अभिलेख

• ममय (बिहार) का प्रथम शासक हर्यक वंश का बिंबिसार था।

● बिबिसार के पुत्र उदयनी ने पाटलिपुत्र नगर की स्थापना की तथा उसे समय की राजधानी बनाया ● हर्यक वंश के बाद शिशुपाल वंश और उसके बाद नंद वंश के राजाओं ने ममय पर शासन किया।

• नंदवंश में कुल 9 शासक हुए जिन्हें नवनंद कहा जाता है इनमें से प्रथम महापदम बंद और अंतिम धनानंद था।

● सिकंदर के आक्रमण के समय समय पर धनानंद का शासन था।

• विदेशी आक्रमण को लेकर तक्षशिला के शिक्षक चाणक्य और धनानंद के मध्य विवाद हो गया

● चाणक्य ने धनानंद को मनय की सत्ता से हटाने हेतु चंद्रगुप्त मौर्य को चुना तथा उसे तक्षशिला

>विश्वविद्यालय (पेशावर पाकिस्तान) राजनीति और युद्धकला की शिक्षा दिलवाई

>323ई. पु. चंद्रगुप्त मौर्य ने पंजाब की आयुधजीवी जाति तथा चाणक्य की सहायता से धनानंद को पराजित कर दिया

चन्द्रगुप्त मौर्य – ( 322 ई० पू० से 298 ई० पू०)

• इनका जन्म 345 ईसवी पूर्व हुआ।

• इनकी माता का नाम मुय गुरु का नाम

मौर्य वंश का संस्थापक कौन था?

चन्द्रगुप्त मौर्य ने धनानंद को पराजित कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।

• इनकी जाति को लेकर भारत के इतिहासकार और विदेशी इतिहासकार अलग-अलग मत रखते हैं इसी कारण इनकी जाती भारतीय इतिहास का एक विवादित प्रश्न है।

● ब्राह्मण साहित्य इन्हें शुद्ध बताता है।

• जैन व बौद्ध साहित्य इन्हें क्षत्रिय बताता है

• विदेशी इतिहासकार इन्हें कुलीन वैश्य बताते है

नोट- विशाखवत की पुस्तक मुद्राराक्षस में चंद्रगुप्त मौर्य के लिए कौशल वृषल शब्द का प्रयोग किया गया है

● यूनानी इतिहासकार चंद्रगुप्त मौर्य को सैंड्रोकॉटोस और एंड्रोकोटस नाम गोधित करते थे

• चंद्रगुप्त मौर्य ने ‘अर्थशास्त्र पुस्तक के रचयिता कौटिल्य/चाणवाय अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया

• चंद्रगुप्त मौर्य भारत का प्रथम चक्रवर्ती सम्राट था जिसने संपूर्ण भारत को जीत कर एक कर दिया

• चन्द्रगुप्त मौर्य ने अगले गुरु विष्णुगुप्त अथवा चाणक्य ( शासक घनानंद को हराकर 322 ई.पू. मौर्य साम्राज्य) की सहायता से बंद वन्श के अन्तिम

• चन्द्रगुप्त मौर्य की चन्द्रगुप्त संज्ञा का प्राचीन मिलता है। अभिलेखीय साक्ष्य रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से

• मगध के राजसिंहासन पर बैठकर दगुप्त ने एक ऐसे साम्राज्य की नींव डाली जो सम्पूर्ण भारत में फैला था

• चन्द्रगुप्त के विषय में प्लूटार्क कहना है कि चन्द्रगुप्त ने छः लाख की सेना लेकर सम्पूर्ण भारत पर अधिकार कर लिया”

• चन्द्रगुप्त मौर्य ने उत्तरी-पश्चिमी भारत को सिकन्दर के उत्तराधिकारियों से मुक्त कर दिया

• चन्द्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश का उन्मूलन किया

• चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस को पराजित कर संधि के लिए विवश कर दिया।

• चन्द्रगुप्त मौर्य ने जिस नाम्राज्य की स्थापना की, उसकी सीमाएं उत्तर पश्चिम में ईरान की सीमा से लेकर दक्षिण में वर्तमान उत्तरी कर्नाटक एवं पूर्व में समय से लेकर पश्चिम में सौराष्ट्र तक फैली हुई थी।

• 305 ई० पू० में मेसिडोनिया के शासक सेल्यूकस एवं चन्द्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ, जिसमें सेल्यूकस पराजित हुआ।

● दोनों के बीच सम्पन्न हुई संधि की जाते इस प्रकार थी

• सेल्यूकस ने मौर्य के साथ अपनी पुत्री का विवाह किया यह भारत का प्रथम अंतरराष्ट्रीय विवाह था। * दहेज के रूप में ऐरिया, जसकोसिया, जेड्रोसिया एवं पेरीप्रेमिमा के क्षेत्र चन्द्रगुप्त को दिये।

● प्लूटार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथो

• सेल्यूकस ने अपने एक राजदूत मेगस्थनीज । कार्य के दरबार में भेजा। जिसने इण्डिक नामक पुस्तक की रचना की

• चन्द्रगुप्त मौर्य की दक्षिण विजय के विषय में जानकारी तमिल ग्रंथो अनार और मुस्नालुरु तथा अशोक के अभिलेखों से मिलती है।

• चन्द्रगुप्त एक कुशल मोड़ा राजा तथा महान विजेता ही नहीं था, बल्कि योग्य शासक भी था।

• उसने अपने मुख्यमंत्री कौटिल्य की सहायता से ऐसी शासन व्यवस्था का निर्माण किया, जो उस समय के अनुकूल थी।

• अपने जीवन के अन्तिम चरण में चन्द्रगुप्त मौर्य ने जैन मुनि भद्रबाहु से जैन धर्म की दीक्षा लेकर श्रनणवेलगोला (मैसूर कर्नाटक में

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 15
PDF साइज़3 MB
CategoryHistory
Source/Creditsdrive.google.com

मौर्य वंश के इतिहास की संपूर्ण नोट्स – Maurya Samrajya Notes PDF Free download

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