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महेश कुमार बरनवाल भूगोल – Mahesh Kumar Barnwal Geography Book PDF Free Download
Mahesh Kumar Barnwal Geography PDF
- भारत एक परिचय
भौतिक पहलू
- पृथ्वी की भूगर्भिक संरचना
- अपवाह तंत्र
- जलवायु
- भारत की मिट्टियां
- जीवमंडल
- पर्यावरण व पर्यटन
आर्थिक खंड
- भारत में कृषि
- जाएगा बहु उद्देशीय परियोजना
- भारत का पशु संसाधन
- भारत के खनिज व ऊर्जा संसाधन
- उद्योग
- बहुराष्ट्रीय कंपनियां एवं उदारीकरण
- मुक्त व्यापार व निर्यात संवर्धन के प्रयास
- भारत में परिवहन
मानवीय पहलू
- भारत की प्रजातियां जनजातियां
- भारत में जनांकिकी गुण
- जनसंख्या विस्फोट एवं खाद्य सुरक्षा
- भारत में नगरीकरण
- राजनीतिक पहलू
- भारत में जनसंख्या
मानव मस्तिष्क में एक क्रमवद्ध रूप में जब सम्पूर्ण विश्व का चित्र उभरा तो उसने इसे ब्रह्मांड (COSMOS) की संज्ञा दी। मिनी परम्परा के स्त्रीडियम तमी (140 ई.) ने सर्वप्रथम इसका नियमित अध्ययन कर ‘जियोमेट्रिक अवधारणा’ का प्रतिपादन किया।
इस अवधारणा के अनुसार, पृथ्वी ब्रह्माड के केंद्र में है तथा सूर्य व अन्य ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं।
ब्रह्मांड के संदर्भ में यह अवधारणा लम्बे समय तक बनी रहो। परन्तु 1543 ई. में कॉपरनिकस ने जब ‘हेलियोसेन्ट्रिक अवधारणा’ का प्रतिपादन किया हो उसके पश्चात् ब्रह्मांड के संदर्भ में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आया।
इस अवधारणा के तहत कॉपरनिकस ने यह बताया कि केन्द्र में पृथ्वी नहीं अपितु सूर्य है। यद्यपि सम्बंधी उनकी अवधारणा सौर परिवार तक सीमित थी, तथापि इस अवधारणा ने ब्रह्मांड के अध्ययन की दिशा ही बदल दो। 1805 ई. में ब्रिटेन के शास्त्री ने दूरबीन की सहायता से अंतरिक्ष का अध्ययन कर बताया कि सौरमंडल आकाशगंगा का एक अंश मात्र है।
अमेरिका के गोत्री आकाशगंगा का एक अंश मात्र है। अमेरिका के खगोलशास्त्री एडविन पोइब्वाल ने 1925 ई. में यह स्पष्ट किया कि इश्वपत्र में आने वाले ब्रह्मांड का प्यास 250 करोड़ प्रकाश वर्ष है तब इसके अंदर हमारे आकाशगंगा को भात लाखों आकाशगंगाएँ स्तुत की अवधारणा में अमिक परिवर्तन हुए एवं इसको उत्पत्ति को व्याख्या के संदर्भ में कई सिद्धांत भी दिए गए हैं, जिनमें निम्न प्रमुख है-
ब्रह्मांड की उत्पत्ति से सम्बंधित सिद्धांत
- बिग बैंग सिद्धांत (Big Bang Theory): जॉर्ज सैमेन्ट
2. साम्यावस्था सिद्धांत (Strady State Therry) गोल्ड एवं हर्मन बांडी
3. दोलन सिद्धांत (Pulsating Universe Theory) डॉ. एलन सं
बिग बैंग सिद्धांत सार्वाधिक मान्य सिद्धांत है।के खगोलज्ञ एवं पादरी जॉर्जलैमेन्टर ने 1960-70 ई. में किया इनके अनुसार, ब्रह्म लगभग 15 अरब वर्ष पूर्व एक विशालकाय अग्निपि था, जिसका निर्माण भारी पदार्थों से हुआ।
इसमें अचानक विस्फोट (ब्रह्मांडीय विस्फोट या बिग बैं के कारण पदार्थों का बिखरा हुआ था जिससे काले व सामान्य पदार्थ निर्मित हुए तथा उनके समूहन से अनेक ब्रांडों हुआ, जिससे उनके आकार में वृद्धि हुई। इस प्रकार, का सृजन हुआ। इनके चारों ओर सामान्य पदार्थों का जमाव समूहन से बने असंख्य पिंड तारे कहलाए।
इसी प्रक्रिया से का निर्माण हुआ। इनमें पुनः विस्फोट से निकले पदार्थों के कालान्तर में ग्रहों व उपग्रहों का भी निर्माण हुआ। इस प्रकार, की उत्पत्ति के सम्बंध में यह इस सिद्धान्तका प्रतिदन बेल्जियम परिघटना से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई तथा तभी से ब्रह्मांड में निरन्तर विस्तार जारी है।
इसके साक्ष्य के रूप में आकाशगंगाओं के बीच बढ़ती दूरी का संदर्भ दिया जाता है।ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने के लिए यूरोपियन सेंटर को जेनेवा में पृथ्वी की सतह से 100 फीट नीचे एवं 27 किमी.
फॉर न्यूक्लियर रिसर्च ‘सर्प’ (CERN) ने 30 मार्च, 2010 लंबी सुरंग में लार्ज इन कोलाइडर (LIC) नामक ऐतिहासिक महाप्रयोग सफलतापूर्वक किया। इसमें 1,000 से भी अधिक वैज्ञानिक शामिल थे।
इसमें प्रोटॉन योगों को लगभग प्रकाश की गति से टकराया गया तथा हिग्स बोसॉन’ के निर्माण का प्रयास किया गया। इस महाप्रयोग के माध्यम से ब्रह्म की उत्पत्ति सम्बंधित वैसी अनसुलझी अवधारणाओं की परख की जाएगी, जिन्हें अब तक डार्क मैटर’, ‘डार्क एनर्जी’, ‘एक और डाइमेंशन’ व ‘गॉड पार्टिकल’ के नाम से पुकारा जाता रहा है।
पहले हुई उस ब्रह्मांडीय पटना को प्रयोगशाला में दोहराना चाहते वस्तुतः इस महाप्रयोग के माध्यम से वैज्ञानिक 15 अरब वर्ष है। ऐसी अवधारणा है कि ‘गॉड पार्टिकल’ के नाम से जाना है, जिसे विज्ञान की दुनिया में ‘बिग बैंग’ के नाम से जाना जाता क्योंकि इसे सबसे बेसिक माना जा है। उ जाने वाला ‘हिग्स बोसॉन’ में ही ब्रांड के रहस्य छिपे हैं
Language | Hindi |
No. of Pages | 132 |
PDF Size | 3 MB |
Category | Geography |
Source/Credits | Drive.com |
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